जहाँ समाधान नहीं है वहाँ खोजेंगे तो क्या खोज पायेंगे ?
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हम सेवाओं में भ्रष्टाचार कर रहे हैं ,
हम शिक्षण में मेहनत नहीं कर रहे हैं ,
हम शिक्षा समय को व्यर्थ कर अधूरे से ज्ञान के साथ डिग्री ले रहे हैं ,
हम व्यापार में मिलावट कर अधिक लाभ की जुगत कर रहे हैं,
हम भाषा ,क्षेत्र और धर्म को आधार बना कर अन्य से सौहाद्र नहीं रख रहे हैं,
हम अपने बुजुर्गों को आदर और सही देखरेख नहीं कर रहे हैं ,
हम रोगियों के उपचार से ज्यादा अपने लाभ ( धन अर्जन ) को प्रमुखता दे रहे हैं,
हम दूसरे परिवार की नारी की गरिमा को मान नहीं दे रहे हैं,
हम गरीबों की सहायता में पिछड़ रहे हैं,
हम धन लालच देकर विभिन्न लाभ (यात्रा रेजरवेशन, सरकारी नौकरियां , उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश आदि ) दूसरे से छीन अपने पक्ष में कर रहे हैं ,
हम धन लालच दे न्याय अपने पक्ष में करवाने का प्रयास कर रहे हैं ,
हम कीमत लेकर अपराधी को दंड से बचा रहे हैं ,
हम इस देश में रहकर उसे ही अपना नहीं मान रहे हैं,
सरकार के राजस्व जिनसे विकास के कार्य होते हैं , उसे पूरा करने के लिए अपने टैक्स ना भर रहे हैं,
और देश और समाज में उपजी सारी बुराई और समस्या का कारण अपने में नहीं देख ,दूसरे में देख रहे हैं,
इन सारे अपने गैर जिम्मेदारी पूर्ण कृत्यों के बाद नई सरकार से आशा कर रहे हैं , वह देश की व्यवस्था ठीक कर दे , हमारा समाज अच्छा बना दे.
क्या सरकार इन्हें ठीक करने के लिए आगे बड़े तो ,दो कदम आगे आकर हमें सहयोग नहीं करना चाहिए?
अगर भावना सहयोग की नहीं रहेगी तो अगले आम चुनावों में भी हम नया विकल्प ढूंढते और लाते रहेंगे। समस्याएं यों ही रहेगी और बढ़ती जायेंगी।
जहाँ समाधान नहीं है वहाँ खोजेंगे तो क्या खोज पायेंगे ?
--राजेश जैन
25-05-2014
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हम सेवाओं में भ्रष्टाचार कर रहे हैं ,
हम शिक्षण में मेहनत नहीं कर रहे हैं ,
हम शिक्षा समय को व्यर्थ कर अधूरे से ज्ञान के साथ डिग्री ले रहे हैं ,
हम व्यापार में मिलावट कर अधिक लाभ की जुगत कर रहे हैं,
हम भाषा ,क्षेत्र और धर्म को आधार बना कर अन्य से सौहाद्र नहीं रख रहे हैं,
हम अपने बुजुर्गों को आदर और सही देखरेख नहीं कर रहे हैं ,
हम रोगियों के उपचार से ज्यादा अपने लाभ ( धन अर्जन ) को प्रमुखता दे रहे हैं,
हम दूसरे परिवार की नारी की गरिमा को मान नहीं दे रहे हैं,
हम गरीबों की सहायता में पिछड़ रहे हैं,
हम धन लालच देकर विभिन्न लाभ (यात्रा रेजरवेशन, सरकारी नौकरियां , उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश आदि ) दूसरे से छीन अपने पक्ष में कर रहे हैं ,
हम धन लालच दे न्याय अपने पक्ष में करवाने का प्रयास कर रहे हैं ,
हम कीमत लेकर अपराधी को दंड से बचा रहे हैं ,
हम इस देश में रहकर उसे ही अपना नहीं मान रहे हैं,
सरकार के राजस्व जिनसे विकास के कार्य होते हैं , उसे पूरा करने के लिए अपने टैक्स ना भर रहे हैं,
और देश और समाज में उपजी सारी बुराई और समस्या का कारण अपने में नहीं देख ,दूसरे में देख रहे हैं,
इन सारे अपने गैर जिम्मेदारी पूर्ण कृत्यों के बाद नई सरकार से आशा कर रहे हैं , वह देश की व्यवस्था ठीक कर दे , हमारा समाज अच्छा बना दे.
क्या सरकार इन्हें ठीक करने के लिए आगे बड़े तो ,दो कदम आगे आकर हमें सहयोग नहीं करना चाहिए?
अगर भावना सहयोग की नहीं रहेगी तो अगले आम चुनावों में भी हम नया विकल्प ढूंढते और लाते रहेंगे। समस्याएं यों ही रहेगी और बढ़ती जायेंगी।
जहाँ समाधान नहीं है वहाँ खोजेंगे तो क्या खोज पायेंगे ?
--राजेश जैन
25-05-2014
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