Saturday, May 10, 2014

अगली शताब्दी , कुछ दृश्य

अगली शताब्दी , कुछ दृश्य
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दृश्य 1
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(सन 2156 )

विधि मंत्री पार्लियामेंट हॉउस मे  … इस तरह ध्वनि मत से हॉउस इस संविधानिक संशोधन को पास करता है , जिसके तहत विभिन्न संस्थाओं में किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत विवरण में माँ और पिता का नाम अनिवार्य था , व्यवहारिक सरलता के लिये अब ऐसे समस्त स्थानों पर माँ का नाम का उल्लेख पर्याप्त होगा।

दृश्य 2
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(सन 2170 )

गृह मंत्री पार्लियामेंट हॉउस मे.  … आज सदन के एजेंडा में तीन प्रस्तावों पर चर्चा की जानी है ,
1 .  वृध्दा ,रोगी, पराश्रिता 50 वर्ष से अधिक आयु की नारी के पुनर्वास के लिये  देश भर में एक लाख "नारी पुनर्वास गृह " जिन पर व्यय 300 अरब डॉलर अनुमानित है का निर्माण अगले तीन वर्षों में कराया जाये।  यह देश की ऐसी नारी नागरिक की गंभीर समस्या के समाधान के लिये प्रस्तावित है जो रोगी या वृध्दा होने के साथ इस तरह लाचार हो गई है कि स्वयं की देखभाल में असमर्थ हो गई है।  जिनको अब पुरुष साथ नहीं मिल पाता है।


2  .  वृध्द ,रोगी, पराश्रित 50 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष  के पुनर्वास के लिये  देश भर में एक लाख अतिरिक्त "वृध्द पुनर्वास गृह " जिन पर व्यय 270 अरब डॉलर अनुमानित है का निर्माण अगले तीन वर्षों में कराया जाये।  यह देश के ऐसे  पुरुष  नागरिक की गंभीर समस्या के समाधान के लिये प्रस्तावित है जो रोगी या वृध्द होने के साथ इस तरह लाचार हो गये है कि स्वयं की देखभाल में धन व्यय कर सकने मे असमर्थ हैं जिससे उन्हें कोई पुरुष या नारी सांथ सुलभ नहीं बचा है। 

3 .  शिशु लालन -पालन (5  वर्ष से कम आयु) :- ऐसे बच्चे जिनको किसी नारी द्वारा जन्म तो दिया है किन्तु उनके बदलते पुरुष मित्र के द्वारा नापसंद किये जाने के कारण  नारी द्वारा लालन -पालन किया जाना कठिन हो रहा है उनकी जीवन रक्षा के लिये  देश भर में एक लाख "शिशु  लालन -पालन गृह " जिन पर व्यय 320 अरब डॉलर अनुमानित है का निर्माण अगले तीन वर्षों में कराया जाये।  यह देश के भविष्य के  नागरिक के लिये गंभीर संकट बन रहा है इससे निबटने  के लिये शिशु  लालन -पालन गृह प्रस्तावित है।

गृह मंत्री के प्रस्ताव वक्तव्य का मेज थपथपा कर सदस्य स्वागत करते हैं और चर्चा आरम्भ होती है.


दृश्य 3
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(सन 2185 )
क्लास रूम मे 2 बच्चे शब्दकोष (नेट) से कुछ शब्दोँ के अर्थ ढूँढ़ उन्हें याद कर रहे हैं ……

जॉन, जोनी से पिता का अर्थ (मीनिंग) क्या है , जोनी खोज (search)  कर जॉन से
पिता : माँ के उस समय का साथी ,जिस पल बच्चा गर्भ में आया था।
जॉन, जोनी से अब देख पति का अर्थ (मीनिंग) क्या है , जोनी खोज (search) कर जॉन से
पति : नारी का पुरुष साथी जो प्राचीन समय में आजीवन नारी के साथ रह्ता था।
जॉन, जोनी से अब देख पत्नी का अर्थ (मीनिंग) क्या है , जोनी खोज कर जॉन से
पत्नी : वह नारी जो किसी पुरुष के साथ तथाकथित विवाह नाम की रस्म कर उस पुरुष के साथ आजीवन एक परिवार मे रहती थी।
जॉन, ये परिवार शब्द  का अर्थ (मीनिंग) क्या है , जोनी (search) खोज कर जॉन से
परिवार : प्राचीन काल में वह सामाजिक ईकाई परिवार कहलाती थी , जिसमें पिता , माँ  ,बच्चे और की एक या अधिक पीढ़ी साथ रहती थी।
जॉन, और ये विवाह  का अर्थ (मीनिंग) क्या है , जोनी (search) खोज कर
 विवाह : पुराने समय में पुरुष और नारी सामान्यतः समवयस्क एक रस्म या विधिक प्रक्रिया पूरी कर आजन्म साथ रहना आरम्भ करते थे और आपस मे पति-पत्नी नामक रिश्ते से बँधते थे उस रस्म या विधिक प्रक्रिया को विवाह कहा जाता था।

जॉन और जोनी बतियाते हैं मतलब प्राचीन समय मज़ेदार होता रहा होगा इतने अलग अलग उम्र के व्यक्ति और बच्चे एक साथ रह लेते होंगे।

दृश्य 4
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(सन 2190)
इतिहास का विद्यार्थी "रिची"  का शोधपत्र जिसकी विश्व विद्वानों ने सराहना की के कुछ अंश …....

हजारों वर्ष की मानव सभ्यता यात्रा से अनुमोदित परिवार ईकाई के विलुप्ति के कारण …
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पिछली दो शताब्दियों में पुरूष और नारी के संबन्धों में स्वच्छंदता धीरे धीरे बढ़ती गई। ये विवाह पूर्व में सम्बन्ध स्थापित करने लगे। विवाह पूर्व ही भिन्न साथियो की आदत विवाह उपरान्त भी अति स्वच्छंदता के रुप में देखी जाने लगी।  जो पारिवारिक कलह की इतनी बढी समस्या हो गई कि दोनों (पुरुष और नारी ) के लिये परिवार मे रहना कठिन हुआ और इस तरह परिवार अस्तित्व घटते गये और आज    विश्व के अधिकांश हिस्से मे से विलुप्त हो गये हैं।

परिवार की विद्यमानता (अपवाद रूप मे ) आज भी है  
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विश्व में भारत आज भी वह देश है जिसमें समाज आज भी परिवारों से बनता है और जहाँ परिवार और समाज में सर्वत्र हर्ष प्रसन्नता व्याप्त है।

शेष विश्व की दूषित हवा भारत में क्यों और कैसे नहीं पहुँच पाई ?
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यह भारत की भव्य संस्कृति की महिमा है।  वास्तव में विश्व का कर्णधार राष्ट्र भारत छह -सात सौ वर्ष की परतंत्रता के बाद सन 1947 में स्वतन्त्र हुआ था।  पराधीनता की लम्बी अवधि में शासकों की अपसंस्कृति का प्रभाव और शासकों द्वारा लूटे जाने से धन अभाव से नई स्वतन्त्र पीढ़ी अभिशापित रही। पराधीनता से हुई सांस्कृतिक ,सामाजिक ,और व्यवहारिक क्षति की प्रतिपूर्ति को राष्ट्र उपाय कर रहा था तब कुछ पक्ष अनदेखे रह गये और बाह्य संस्कृति के आचरण व्यवहार ने समाज में जड़ जमानी आरम्भ की . इस काऱण के साथ ही  इसी समय स्वतंत्रता प्राप्ति के आनन्द में भी स्वतंत्रता के बाद 60 -65 वर्षों तक निश्चिंतता के आलम में पाश्चात्य स्वंच्छन्दता की घुसपैठ वहॉँ भी आरम्भ हुई।  लेकिन इसे भव्य संस्कृति और धर्म का चमत्कार कहा जायेगा कि परिवार संस्कृति पर आये संकट की येन समय अनुभूति इक्कीसवीं सदी के आरम्भ की पीढ़ियों ने किया, और सजग हो गये। तब सुधारात्मक उपाय किये गये . इस तरह वहाँ परिवार अस्तित्व बना रहा और सामाजिक वातावरण  वहॉँ सुखद बन गया

यह चमत्कार वहाँ अचानक कैसे सम्भव हो पाया
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इक्कीसवीं सदी के आरम्भ की युवा पीढ़ी ने वास्तविकता की पहचान की। उन्होंने समझा कि हजारों वर्ष के मानव अनुभव के बाद अन्य प्राणियों से अलग परिवार मे रहने की पध्दति ही प्राणियोँ में श्रेष्ठ है।  उस पीढ़ी ने उस समय नायक के रूप में जाने गये ऐसे व्यक्तियोँ की पह्चान भी कर ली जो नायक नहीँ थे।  जो लोकप्रिय होने से वैभव शाली तो हो गये थे उनकी ग्लैमरस चमक दमक से प्रशंसक सम्मोहित हो रहे थे और ये अति स्वार्थी हो कर देश और समाज में अपनी भोगलोलुपता मे स्वछंदता प्रौन्नत कर रहे थे।  उस समय के युवाओं ने जैसे ही इस वास्तविकता को समझा उन्हें आसन्न संकट की कल्पना हो गई।  उनके दृढ संकल्पों से पहले तो देश में ऐसे नायकों का तिरस्कार किया गया।  और फिर समाज हितकारी आदर्शों और सिध्दांतों का अनुकरण किया गया।  भारत की उस पीढ़ी को और वहॉँ की भव्य पुरातन संस्कृति का संरक्षक करार दिया गया है जिसे भटकी समाज व्यवस्था को सही पथ ले आने वाले चमत्कार का श्रेय जाता है . जिसके कारण अन्य हिस्सों मे इतिहास हुआ मानव पारिवारिक जीवन वहाँ आज वर्तमान है।  और उसके (भारत) के नेतृत्व में पुनः सम्पूर्ण विश्व का भविष्य बनेगा।

(लेखक का मंतव्य समस्या के मूल पर प्रहार करना है , किसी को मानसिक क्लेश देना नहीं है ,फ़िर भी अनायास जो ऐसा अनुभव करते हैं उनसे अग्रिम क्षमा प्रार्थना है.शब्दों का चयन सतर्कता से किया गया है समाज के सभी वय के पाठक पढ़ सकें इस हेतु अमर्यादित शब्द से बचने  का यत्न भी किय गया है। और शालीन शब्दों में संकेत किये गए हैं )

--राजेश जैन
11-05-2014

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