क्या हम स्वतंत्र हैं ?
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हम किन्हीं भय (डर) से अच्छे बनते हैं। या अपनी अच्छाइयों से अच्छे होते हैं। दोनों ही अच्छी बात है।
उदाहरण :- सड़कों पर वाहन इस डर से सावधानी से चलाते हैं कि कोई दुर्घटना में फँस जायेंगे तो लोग पिटाई कर देंगे ,अपमान कर देंगे।
अथवा
बिना भय के यह सोचते हुए ड्राइव में सावधान रहते हैं कि कोई दुर्घटना ना हो जिसमें किसी को ऐसी शारीरिक या आर्थिक हानि हो सकती है जिसकी क्षतिपूर्ति संभव ना हो।
दोनों ही तरह से हम सावधान और अनुशासित रह सकते हैं। लेकिन स्वभाव से ही अच्छा होना , भय से अच्छा रहने की तुलना में ज्यादा अच्छा होता है।
हम स्वतंत्र हैं। इसका अर्थ यह होता है हम तंत्र (अपने व्यवहार और कामनाओं ) पर स्व नियंत्रण रखते हैं। लेकिन यदि कानून या समाज (तंत्र) के भय से हम नियंत्रित अगर होते हैं तो क्या हम स्वतंत्र हैं ?
-- राजेश जैन
28-05-2014
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