Friday, May 2, 2014

स्वाति पाराचूरी के साथ अनमोल जीवन सम्भावना की मौत

स्वाति पाराचूरी के साथ अनमोल जीवन सम्भावना की मौत
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बेहद दुखद हादसा एक भारतीय परिवार की एकलौती , आशादीप , लाड़ली बेटी स्वाति पाराचूरी की चैन्नई स्टेशन पर विस्फोट में मौत.
भारतीय परम्पराओं से घर के अन्दर चाहरदिवारियों मे जीवन बसर करती परिवार की रीढ नारी , जिसके समक्ष संस्कृति ने हमें श्रध्दा से नतमस्तक होना सिखाया.
आज  ऐसी आधुनिकता में हम आ पहुंचें , जिसमें नारी को घर के अन्दर सम्मान और सुरक्षा ना दे सके. बाध्यता में उसे पग चौखट के बाहर निकलना पड़ा . जीवन यापन और सम्मान के लिये संघर्ष का रास्ता ढूंढना और उपाय करना पड़ा. सम्मान से नारी नारी का भरण पोषण नहीं कर सके कम चिंतनीय था लेकिन जब वह बाहर निकली तो  घर के बाहर अकेला पाकर काम वासना का भेड़िया उस पर टूट पड़ा , कहीं बरगला कर उसे तमाशा की वस्तु बना दिया.
 नेट पर ,फ़िल्मी परदों और विज्ञापनों में उसे  अश्लील तरह से प्रदर्शित किया गया . वहाँ उसे आधुनिका कह कर बरगलाया गया , वह विचार ना कर सके उसके हाथ में धन और आसपास झूठे सम्मान के दृश्य और साधन सजा दिये गये. जहाँ सहमति नहीं बना सका वहाँ जोर जबरदस्ती से उस पर टूटा. 

                                                   " नहीं घर में चैन दिया
                                                     नहीं बाहर चैन दिया
                                                    बेटा बलवान हुआ पुरुष
                                                    हर जगह बेचैन किया "

विषाद का विषय है.  वातावरण बहुत दूषित बन गया है. बेटी स्वाति पाराचूरी की कारुणिक मौत पर लौटें.  हार्दिक श्रद्धांजलि उसके लिये है.  लाखों धिक्कार सभ्य कहलाते मानव को है. वैसे भी जीवन पर मौत की आशंकायें अनेकों थी , मानव निर्मित हादसों में मौत जिस परिवार पर बीतती है वह जाति आधारित ,क्षेत्र आधारित , भाषा आधारित और धर्म आधारित हमारी निष्ठाओं को और अन्धविश्वासो को कोटि कोटि बार कोसता है.

                                  "   हे मानव ,जल्द से जल्द तुम चैतन्य हो जाओ
                                      भगवान से लड़ना पड़े तो लड़ जीवन दिलाओ
                                      ऐसा समाज जिसमें जीवन असमय विराम का
                                      कहीं कभी भूल से भी कारण तुम ना बन जाओ "

हम आशा करें कि अनेकोँ संम्भावनाओं को संजोये एक भी मौत का अब  जान समझ कर क़ोई भी काऱण नहीं बनेगा. सभी पुरुष और नारी एक दूसरे को  और परिचित -अपरिचित को  इस तरह सुरक्षा प्रदान कर अपना और सबका जीवन आधार बनेगा . सभ्य मानव होने का स्वयं सम्मुख साक्ष्य प्रस्तुत करेगा.

--राजेश जैन
03-05-2014

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