Monday, July 1, 2013

वीमेन अर्निंग वर्क मॉडल

वीमेन अर्निंग वर्क मॉडल
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आज नारी व्यवसाय और धनार्जन हेतु घर की देहरी लाँघ बाहर निकली है. यह नारी ,परिवार और समाज हित में ही है .बहुत सी ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हुईं जब नारी में धनार्जन क्षमता या घर के बाहर के आत्मविश्वास की कमी स्वयं नारी और परिवार के लिए अभिशाप सिध्द हुआ .किन्तु निम्न बातों को ध्यान करते हुए उसका कार्य में भूमिका और प्रतिदिन लगने वाला समय प्रचलित से अलग ढंग से तय होना चाहिए ..
* भारतीय संस्कृति और परिवार में नारी गृहकार्य में बहुत महत्वपूर्ण  भूमिका में है . बल्कि परिवार की मजबूत बुनियाद के लिए ज्यादातर समय उनकी उपलब्धता घर में आवश्यक है .
* पति ,बच्चे  (संस्कार और लालन -पालन) और परिवार सदस्य की निर्भरता किसी भी अन्य के तुलना में नारी पर सर्वाधिक है .
* नारी को शारीरिक शक्ति पुरुषों की तुलना में बहुत कम मिलती है .
* नारी के विरुध्द घर के बाहर शोषण की अधिकांश घटनाएं अपराह्न के बाद के समय में ज्यादा होती हैं .

लेखक ने घर के मुखिया ,कार्यालय में अधिकारी के रूप में तथा भारतीय समाज में एक संवेदनशील सदस्य के रूप में देखा और अनुभव किया उस को आधार रख ही उल्लेख है .
बच्चों के उचित संस्कार , स्वच्छ और पौष्टिक भोज्य ,घर की साफ-सफाई और पास पड़ोस से स्वस्थ संबंधों के मूल में नारी प्रमुख योगदान देती है . नारी की प्रतिदिन ज्यादा घर से अनुपस्थिति निश्चित रूप से इनमें से कुछ या सभी बातों को बुरी तरह प्रभावित करती है .
 
भारतीय परिवेश पश्चिमी से बहुत जुदा है . यहाँ नारी एक पुरुष से दाम्पत्य सूत्र में बंध कर ताजीवन उसे निभाती है .
कार्यालय में लम्बी अवधि की नौकरी में उसे घर के दायित्व स्मरण आते हैं . जो उनकी कार्यालयीन आउटपुट तथा दक्षता प्रभावित करते हैं .

ऐसे में मुझे लगता है की नारी के व्यवसाय या कार्यालयों में किसी भी एक दिन में चार घंटे से ज्यादा अवधि देश/समाज /परिवार/नारी (स्वयं ) और प्राकृतिक न्याय हित में नहीं है .
पुरुष, उदारता का परिचय देते हुए नारी के कार्य और जिम्मेदारी इस तरह तय करें .साथ ही इतनी अवधि में कार्य के बदले में भी उसे पुरुष (समकक्ष से ) 75 % वेतन स्वीकृत करें .

भारत में नारी वीमेन अर्निंग वर्क मॉडल इस तरह डिजाईन किया जाए तो समाज की बहुत तरह की समस्या कम की जा सकेंगी ..  




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