Tuesday, July 2, 2013

छोटी सी बातें

छोटी सी बातें
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दिखती साधारण और छोटी सी बातें जुडी (interlinked ) होती हैं और बड़े अर्थ भी उनमें निहित होते हैं .

कल प्रातः काल भ्रमण पर निकला तो बारिश की रिमझिम चल रही थी .एक जगह एक तीस -पैंतीस वर्ष की युवती जो स्कूल टीचर होगीं .अपनी स्कूटी खींचती जा रही थी . मैंने उनसे पूछा क्या हो गया . उन्होंने बताया पानी चला गया है स्टार्ट नहीं हो रही है . मैंने फिर पूछा कहाँ जाएँगी .. उन्होंने बताया सेंट थामस स्कूल के पास मेकेनिक है वहां . वहाँ से जगह 1 कि  मी के फासले पर थी वे बरसाती पहने हुए थीं . उनकी परेशानी कुछ कम कर दूं इस विचार से मैंने सहयता को पूछा उनके हाँ करने पर मैंने अपनी छतरी उन्हें दी .और उनकी गाड़ी मेकेनिक शॉप तक खींच ले गया . पीछे पैदल चलती आकर उन्होंने धन्यवाद कहा .. मैंने तब विदा ले अपना भ्रमण जारी रखा .

1 कि मी , बरसाती पहन कर पैदल चलना कठिन था ऐसे में वे गाड़ी खींचती और उसे ठीक करा कर जब स्कूल पहुँचती तो शायद  थक कर बच्चों को पढ़ा सकने की हालत में ना होती . अगर वे तीन पीरियड पढाती  हैं तो पचास बच्चों के 3 घंटे व्यर्थ ना जाना .. देश के प्रतिभा विकास के एक सौ पचास घंटे बचाते हैं 

पुरुष कई बार रास्ते में फिकरे कसते , छेडछाड करते हैं अतः अजनबी पुरुष पर एकाएक विश्वास कर पाना नारियों के लिए कठिन हो गया है . ऐसे में सच्ची निस्वार्थ सहायता के ये कार्य उन्हें यह विश्वास दिलाते हैं कि सभी एक जैसे नहीं होते हैं .

निर अपेक्षा ,निः स्वार्थ सहयोग के किस्से बिरले होते जा रहे हैं . ऐसे में छोटी ही सही ऐसी सहायता परोपकार भाव अस्तित्व में बनाये  रखते हैं .
हम कह कर गुड मोर्निंग ,शुभ-प्रभात ... किसी की सुबह अच्छी बना पाते हैं अथवा नहीं .. पर कल मुझे उनकी सहायता के बाद के थैंक्स ,अपने सहयोगी भाव से सुबह अच्छी होती लगी .. और शायद छोटी सी हेल्प के बाद उन्हें भी अपनी मोर्निंग अच्छी लगी होगी ..

इन सबके साथ पुरुष उदारता की बात अपने लेखों में करता हूँ .. उसका छोटा पर ठीक क्रियान्वयन भी इस कर्म से होता है ...

सामाजिक स्वस्थ परम्परा और सौहाद्र भी इससे जुडा  है ...

राजेश जैन 
03-07-2013

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