Sunday, July 7, 2013

परिवार

परिवार 
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बिना हेर फेर, व्यवस्था व्यय आवश्यकता पहचान कर
वह ,आय पर कर पच्चीस हजार प्रति माह चुकाता है ..

सब्जी क्रय पर भाव देख चिंतित तो बहुत होता फिर भी
विक्रेता के उतरे चेहरे देख 
बिन मोलभाव कीमत चुकाता है

अनाज कीमत में आई वृध्दि पर व्यय बोझ बढ़ता किन्तु
कर स्मरण कृषक परिश्रम श्रध्दा भाव से भाव भर देता है 

बच्चों की भारी शिक्षा शुल्क से व्यय संतुलन बिगड़ता पर
गुरु ना रहें अभाव में विचार से आदर शुल्क का करता है 

पत्नी बताती बढ़ी माँग जब वेतन हेतु गृहकार्य सेविका की
सोच बढ़ी महंगाई से गरीब कष्ट का सहमत उसे कर देता है

पत्नी इनकी देख मनोवृति नहीं रखती बहु महत्वाकांक्षा
रसोई में स्वयं मेहनत से शुध्द,स्वादिष्ट भोज्य बनाती है

बच्चे ना ललचायें नाना प्रकार पैक्ड भोज देख कर अतः
पौष्टिक और संतुलित भोज्य विधि नित सीख बनाती है
प्रातः जल्दी उठ लगती बच्चों के उचित संस्कारों के लिए 
पठन पाठन और गृहकार्य हेतु मार्गदर्शन उनका करती है

इस समर्पित गृह दिनचर्या में नहीं मिलता अधिक समय
रात्रि होती आधुनिक प्रतीक पार्टी में नहीं वह जा पाती है
सीमित पति आय में श्रृंगार हेतु उपलब्ध ना बहुत साधन
तो भी श्रम व शुध्द पौष्टिक सेवन से रूप स्वयं निखरता है
बच्चे तो बच्चे कहलाते नहीं किन्तु वे रहते बच्चे इसलिए
श्रम-संघर्ष-समर्पण देख माँ-पिता का जिम्मेदार वे बनते हैं

सीधी सच्ची और न्याय संगत सोच और जीवन शैली से
जीवन बीतता नियंत्रित व सानंद सुखद उस परिवार का

चिकित्सा उपलब्ध शरीर समस्या शारीरिक स्वास्थ्य हेतु पर  
धन्य उनका भगवान जो उन्हें स्वस्थ मानसिकता देता है


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