Tuesday, July 9, 2013

आशंकाएं

आशंकाएं
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आज प्रातः कालीन भ्रमण को निकला तो छतरी नहीं रखी थी .. लगभग दस मिनट में ही लगने लगा कि तेज बरसात होगी .. फिर थोड़ी हल्की रिमझिम हुई , जिसमें आनंद-अनुभूति ही हुई और  बादलों की कालिमा कम हो गई . भ्रमण में परेशानी और भीगने की आशंका निर्मूल ही सिध्द हुई ..
आशंकाओं का यही स्वरूप है .. जीवन में जिन बातों को आशंकित रहते हैं ..उनमें अधिकांश घटती नहीं हैं (अच्छी बात है ) .. कुछ आशंकाएं सच होती हैं जिनसे हमें जूझना पड़ता है .. यही सच हो गयी हमारी आशंकाएं फिर हर बात में हमें आशंकित करने लगती हैं .
आशंकाओं से बचाव के लिए , समय पर उपाय दूरदर्शिता और सावधानी कहलाती है . लेकिन कभी -कभी आशंकाओं से भयभीत होकर हम निष्क्रियता को प्रवृत्त हो जाते हैं  . चूँकि कुछ ही आशंकाएं कटु सच होती हैं ,अधिकांश निर्मूल साबित होती हैं . अतः हमें निष्क्रिय नहीं होना चाहिए . जीवन में सक्रियता ही जीवन आनंद का कारण बनता है ,बशर्ते सक्रियता सही दिशा अच्छे आचरणों और कर्मों में हो   .

आजकल शासकीय विभागों में ऐसे आशंकित निष्क्रिय सेवकों  बहुसंख्या में मिलते हैं .. जिन्हें भय होता है कि अच्छे से कार्य करेंगे तो उनके ऊपर कार्यबोझ बहुत आ जायेगा .. 
इन्हें अपने पर से कार्य टालने के लिए तरह तरह की युक्तियाँ करनी पड़ती है .इनमें इतनी ऊर्जा (Energy) खर्च करनी पड़ती है जितने में वे कार्य का निष्पादन भी कर सकते हैं . मेन पॉवर का व्यर्थ जाना ही राष्ट्र की विडंबना है . इससे सभी ओर अव्यवस्था या अपर्याप्त व्यवस्थाओं का बोलबाला है . सभी परेशान होते हैं .. लेकिन उपाय में सक्रिय होने से डरते हैं .
जब सभी भयाक्रांत रहेंगे तो व्यवस्थाएं सुधरेगी कैसे ?
जब स्वयं अपने लिए (अपनी व्यवस्थाओं के लिए ) हम त्याग ,श्रम और उपाय नहीं कर सकते तो कौन दूसरा ऐसा मिलेगा जो अपनी छोड़ हमारी चिंता करेगा और हमारे लिए परिश्रम करेगा ..

(ऊपर शासकीय विभाग इसलिए लिखा क्योंकि इनमे कार्य करने वाला या नहीं करने वाला दोनों लगभग एक जैसा वेतन और पद पर वर्षों रह सकते हैं ... इनमें ऐसा कोई प्रभावी सिस्टम नहीं है जो कर्मठ ,निष्ठावान और ऑनेस्ट को ज्यादा उत्साहित करता हो .. जबकि अशासकीय विभागों में ज्यादा परिणाम देने वाले के उन्नति के अवसर अधिक मिलते हैं )

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