Wednesday, July 24, 2013

जागरूकता

जागरूकता
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प्रातः कालीन भ्रमण का चक्कर तीन कि. मी . जाने और तीन कि. मी . वापिस आने का है . कई बार विलम्ब होने पर लौटते  में स्कूल कॉलेज के बच्चे टीचर्स का ट्रैफिक आरम्भ हो जाता है . 
इस सीजन में कॉलेज आरम्भ होने के बाद एक बेटी को नियमित पैदल कॉलेज जाते देख रहा हूँ . और उसका कॉलेज तक का रास्ता तीन कि. मी . होता है . वैसे पैदल चलना कोई बुराई नहीं है . किन्तु पढने वाले स्टूडेंट के लिए जाने आने में लगाने वाला समय (सवा -डेढ़ घंटे ) और उससे हुई थकान के बाद लेक्चर में मन लगाना कुछ परेशानी का लगता है . उसी समय कुछ और युवतियों ( लेक्चरर -स्टूडेंट्स ) को स्कूटी पर सिंगल भी लगभग वही मार्ग पर जाते देखता हूँ . उस समय लगता है कि इस बेटी को कोई (नारी ही ) अपने साथ क्यों बिठा नहीं ले जाती ,या यह बेटी क्यों नहीं परिचय बढ़ा किसी युवती के साथ यह अंडरस्टैंडिंग कर लेती . 

मेरी बेटी ने 6 साल स्कूटी से कॉलेज जाते हुए ऐसी अपनी फ्रेंड जिनके पास स्कूटी नहीं रही है . उन्हें पिक कर और ड्राप कर यह कार्य किया है . उसमें हमने हमेशा दो लाभ अनुभव किये हैं .
एक ... एक की अपेक्षा 2 साथ होने से हमें कुछ ज्यादा निश्चिन्ता रही .
दो ..... फ्रेंड की हेल्प हुई ही और उसका कुछ समय और थकान पढने के लिए बचा .

यह परस्पर सहयोग देश में हर स्तर पर बढ़ाकर  देश का फ्यूल बजट कम किया जा सकता है . कई  घंटों का मैनपावर बचा ज्यादा परिणाम कारी कार्यों में लगाया जा सकता है . और देश के सड़कों पर यातायात भार (ट्रैफिक लोड ) ,पार्किंग स्थल में वाहनों की भीड़ कम की जा सकती है . (कार में चार और बाइक में दो की क्षमता पर ऑफिस जाते हुए अधिकतर अकेले कार या बाइक में ,जाते आते दिखते हैं )

इसके लिए थोड़ी अहं (ईगो ) कम करने और परस्पर सहयोग और विश्वास बढ़ाने की आवश्यकता होती है . यह किया जा सकता है यदि हम देश और समाज को अपना मानें और उसके उन्नति और खुशहाली के लिए जागरूकता प्रदर्शित करें तो ...

--राजेश जैन 
25-07-2013

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