Tuesday, July 2, 2013

वीमेन अर्निंग वर्क मॉडल (अंश-2)

वीमेन अर्निंग वर्क मॉडल (अंश-2)
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जिन्होंने
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उन्हें करबध्द  हार्दिक धन्यवाद .
उल्लेखित विचारों पर  असहमति- सहमती ज्यादा महत्व नहीं रखती है .पर भारतीय समाज में जिन चुनौतियों से नारी जूझ रही है ... उसे देखते हुए उन्हें बेहतर संरक्षण आवश्यक है ...

आदिकाल से नारी संरक्षण के लिए पुरुष उत्तरदायी रहा है . हम जिन परिवार-घरों में रहते हैं .उसमें नारी सदस्य होती हैं .उनकी सुरक्षा के उपाय हम करते हैं,व्यवस्था बनाते हैं  ,उन्हें पालन करने कहते हैं . वे उसे पालती भी हैं . लेकिन कई बार घर के बाहर की परिस्थितियों में इन सब सावधानी के रहते हुए भी वे परेशानी से जूझती हैं .

जब ये सावधानी ,उपाय और व्यवस्था कई बार बेअसर होती हैं ऐसी स्थिति में आवश्यक लगता है कि हम जो कर्तव्य घर में निभाते हैं . उसे और विस्तृत करें . घर के बाहर अपने समाज में वे उपाय और व्यवस्था दें .जिनसे एक परिवार में नारी को जो दायित्व हमारे समाज में दिया जाता है उसे वे ससम्मान और सुरक्षित रहते हुए निभा सकें . साथ ही उन परिस्थिति में जब घर की आय वृध्दि में उनका धन अर्जन को बाध्य होना पड़ता है तब उसे भी पूरी कुशलता के साथ वे पूरा कर सकें .

हमारे समाज में नारी करुणा और त्याग का नाम है, तो पुरुष के चरित्र में वह उदारता भी है. जिससे वह कमजोर का सहारा बनता है . ऐसे में नारी जब दोहरी भूमिका में होती है (घर -परिवार के गृहकार्य और धनार्जन को कार्य या व्यवसाय में ) तब उनकी शारीरिक और मानसिक  स्थिति से वे अनेकों बार कमजोर पड़ती है. ऐसे में पुरुष चाहे वह अपना हो या अजनबी, बिना अन्यथा अपेक्षा के नारी की सहायता करे .

वे सफल नारियाँ जिन्होंने घर के बाहर प्रतिष्ठा और धन अर्जित की ,जिन्हें बेहतर परिवेश और मार्गदर्शन मिले वे भी इस कार्य को बेहतर ढंग से पूर्ण करने में अधिक सहायक हो सकती हैं . वे, नारी के घर -परिवार की व्यथा और बाहर की लाचारियों को बहुत भली तरह जानती हैं .

भारतीय समाज में नारी उस विकल्प पर ना जाती जबकि उसे घर की देहरी धन अर्जन को पार करनी पड़ती है . किन्तु नारी के साथ कभी जीवन इतना कठोर  भी हुआ है जब वह धन की कमी के कारण अपने बच्चों के  उदरपूर्ती और अपनी लाज के बचाव के लिए असमर्थ हो जाती है .  

अगर हमारी पारम्परिक समाज- व्यवस्था में नारी को ऐसी सुरक्षा नहीं मिली है , तो नारी में शिक्षा और धन अर्जन क्षमता का होना अनिवार्य हो जाता है .
ऐसे में बाहर आई नारी के दोनों तरह के दायित्व निर्वाह के लिए हमें सुविधा जनक स्थितियाँ निर्मित करना होगा .

यह "नारी चेतना और सम्मान रक्षा " के साथ ही "मानवता और समाज हित" भी है .

यह कतई आवश्यक नहीं की इस दिशा में लेखक के सुझाव सम्पूर्ण दूरदर्शिता पूर्ण हो . सब मिलकर इस दिशा में एक अच्छा मॉडल तैयार करें ...

--राजेश जैन 
02-07-2013

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