Saturday, July 27, 2013

शब्द क्रांति

शब्द क्रांति
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बहुत चलीं तलवारें
बहुत चल चुके तीर
दागी गईं अनेक गोलियां
आईं रक्त रंजित क्रांतियाँ
जीते गए युध्द अनेकों
मरने और मारने वाले
अतीत सभी होते गए
बुराइयाँ कायम अभी भी
समस्या भी हैं वर्तमान
हम लायें शब्द क्रांति
मारी जाएँ सभी बुराइयाँ
ख़त्म हो जाएँ समस्यायें
रक्त बह चुका बहुत
अब ना बहे अब किसी का
पृथ्वी को इस रूप तराशें
देख जिसे स्वर्ग जल उठे
धरती हमारी माँ होती
हम बेटे का दायित्व निभाएं
आओ पृथ्वी को ऐसी
स्वर्ग से सुन्दर हम बनायें
और मानवता को
देवता से आगे हम बढायें
--राजेश जैन
27-07-2013

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