Sunday, February 1, 2015

ऐसे जीते ,जाते हैं पापा


ऐसे जीते ,जाते हैं पापा
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आपको ऐसे चले जाना था
लौट फिर कभी न आना था
स्वयं के लिये जी लेते कभी
हमारे लिये न जी जाना था

हमारा हँसना पसंद इतना था
हममें सुख आपका इतना था
तो कभी लौट न आने के लिए
जाके हमें न रुलाना इतना था

हममें जीवन मानते इतना था
जीवन मिलना छोटा इतना था
अपनी निजी खुशियों के लिये
भी जीके आपको चले जाना था

आप यों चले गये पापा
मेरे अच्छे चले गये पापा
क्यों ,कहाँ चले गये पापा ?
हमें आप रुलाके गये पापा

--राजेश जैन
01-02-2015
 

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