Sunday, February 22, 2015

बेचारी

बेचारी
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कल की पोस्ट पर एक अप्रत्याशित आपत्ति ली गई , जिसमें पोस्ट के अंत में नारी को बेचारी लिखा गया था।
तर्क यह था , नारी आज जो भी कर रही है , समझबूझ के कर रही है , कोई उकसावा नहीं है। misguided भी नहीं है वह। आज की प्रोफेशनल यदि स्मोक कर रही है , या ड्रिंक कर रही है तो अपनी मर्जी से कर रही है।
लिव इन रिलेशन
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अगर वह लिव इन रिलेशन में है या नाईट आउट है तब भी आज की पढ़ी लिखी नारी की अपनी मर्जी है। उसे किसी की सहानुभूति की जरूरत नहीं है , वह सक्षम है। आज वह ,अपने हित -अहित की स्वयं जानकार है।
अल्प-अनुभव
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यह स्वर या ऐसी अभिव्यक्ति है उनकी जो अभी बीस -तीस वर्ष की हैं। बीस से तीस वर्ष की आयु का जीवन , छोटा ही होता है . रूप -यौवन शिखर पर होता है। इन अनुकूलताओं में उसे कल्पना नहीं होती है  स्वास्थ्य की समस्या आ सकती है , रूप फीका पड़ने पर उपेक्षा देखनी पड़ सकती है।
माँ -पिता
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दोनों ही प्यारे होते हैं - इन बेटियों को। परिवार के प्यार में और प्रेरणाओं के बीच पढ़ लिख कर वे आज जॉब में हैं। उन्होंने देखा है यह परिवार ही है , जिसमें सम्मान , रूप -सौंदर्य से निरपेक्ष है। माँ या पिता हैं , पति या पत्नी हैं पारिवारिक स्तर पर परस्पर प्यारे हैं। यह देखते हुए युवा ,इस मंज़िल पर पहुँचे हैं । कुछ अच्छे परिवर्तन अवश्य चाहिए , जिसमें नारी को ज्यादा सम्मान मिले। मनुष्य ही नारी भी है , उसे समतुल्य स्थान और अवसर चाहिए हैं , निश्चित।
शराब -सिगरेट - स्वछंद संबंध
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अनावश्यक विद्रोह सा लगता है - नारी इसे अपना रही है। ये तो पुरुषों के लिए भी उचित नहीं हैं - नारी के लिए भी समान रूप से नुकसान दायक हैं। बल्कि यह जीवनशैली शारीरिक कुछ जटिलताओं के कारण , पुरुषों से अधिक नारी के लिए खतरनाक है ।
निष्कर्ष -बेचारी
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प्रत्यक्ष कोई misguide करने वाला नहीं दिखता है। इसलिये उसे ऐसा प्रतीत होता है कि वह अपनी इक्छा से कर रही है। ऐसा नहीं है - अप्रत्यक्ष रूप से वह बाजार की शिकार हो रही है , जिसमें अपने लाभ के लिये घटिया - सामग्री की पैकेजिंग और प्रेजेंट करने की आकर्षक शैली से उसे शिकार बनाया जा रहा है। सम्मोहनों में उस से वह करवाया जा रहा है , जो नारी का नहीं उन स्वार्थियों का हित करता है।  पढ़-लिख कर भी यदि नहीं समझ रही तो - बेचारी ही तो शब्द है। (कृपया क्षमा करें। लिखे शब्द ऐसा अनुभव करा सकते हैं , जैसे दोष सभी को दिया जा रहा है। ऐसा नहीं है।  दोषी , कोई नहीं है।  सिर्फ जिन्हें चेतना जरुरी है , युवाओं को हितैषी भावना से प्रार्थना स्वरूप लिखा गया है )
-- राजेश जैन 
 22-02-2015

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