Tuesday, February 3, 2015

भारतीय सिने इंडस्ट्री - एक आलोचक दृष्टि -2

भारतीय सिने इंडस्ट्री - एक आलोचक दृष्टि -2
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जबलपुर में
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हमारे , जबलपुर में , विशेषकर उन शॉप पर जहाँ , लेडीस सामग्री और परिधान मिलते हैं , अनुकरणीय परम्परा देखने मिलती है। वहाँ के सेल्समेन और मालिक - सामग्री लेने पहुँची नारियों से मधुरता से दीदी संबोधन से बात करते हैं। साफ है -प्रत्युत्तर में भैया सुनना भी उन्हें पसंद होता है।
यह नारी सम्मान है ?
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टीवी मंच पर ,एक 63 वर्षीय फ़िल्मी सितारे को एक लगभग 65-70 वर्षीया महिला ने भैय्या संबोधित किया , तो उस सितारे को नागवार लगा।  महिला तो पहली बार ऐसे मंच पर थी , भावातिरेक में असहज थी , स्टार जिसे ऐसे मंच मिलते रहते हैं , ने उसे उपहास बनाया और बैठे अपने फैंस को बहुत हँसाया। क्या -यह नारी सम्मान है ? क्या अनुकरणीय है?
फ़िल्मी कॉलेज
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फिल्म में कॉलेज दृश्य फिल्माये जाते हैं , 35 से 55 वर्ष का स्टार ( और एक्ट्रेस ) वहाँ के स्टूडेंट होते हैं। दृश्य ऐसे होते हैं , ज्यों कॉलेज , नर -नारी के प्रेमालाप की शिक्षा के लिये होते हैं ।उनमें प्रेम त्रिकोण या बहुकोणीय होता है। स्त्री -पुरुष बीच बहन -भाई का रिश्ता तो कॉलेज में हो ही नहीं सकता। क्लासेज में प्रोफेसर (चाहे पुरुष या नारी ) उपहास का पात्र होता है।
यही सीख लिया - बच्चों /युवाओं ने
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कॉलेज पढ़ने जायेंगे तो गर्लफ्रेंड मिलेगीं , बॉयफ्रेंड मिलेगा। पेरेंट्स जो बीस -बीस साल पुराने वस्त्र पहन कर , अपने जरूरत घटा कर , बच्चों के फीस का , परिधानों का और बाइक -मोबाइल्स के पूर्ती करते हैं , इस ख्याल से बेटा /बेटी पढ़ेगा तो जीवन में खुश रहेगा। फ़िल्मी शिक्षा ने वहां उसके लिये पढ़ना -लिखना सेकंडरी कर दिया होता है। प्राइमरी -मौज -मजा होता है। किसी ने भैय्या या बहन कह दिया तो यों लगता है , जैसे बिच्छू का डंक लग गया हो ।
गर्लफ्रेंड -बॉयफ्रेंड
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क्या पढ़ा ? क्या बने ? पेरेंट्स को ख़ुशी मिल सकी ? इन प्रश्नों को अलग करते हैं।  बाद में विवाह हुआ , किसी के पति या पत्नी हुए। निहित बॉयफ्रेंड , पति में होता है। गर्लफ्रेंड स्वयं पत्नी में विध्यमान होती है। लेकिन वर्षों गर्लफ्रेंड -बॉयफ्रेंड ढूंढने की आदी दृष्टि इस कदर दोषपूर्ण हो जाती है कि पति /पत्नी में ये दिखते नहीं।

समाज किधर पहुँच गया ?
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डिवोर्स बढ़ गए समाज में , किसी को कुछ मिल सका अथवा नहीं , समाज किधर पहुँच गया ? कोई मतलब नहीं। लेकिन फ़िल्मी लोग स्टार हैं ,धनवाले हैं ,सम्मानीय हैं , पद्म विभूषण हैं।  भारत रत्न भी होंगे , नोबल भी मिल जाएगा , गिनीज बुक में भी होंगे। फिल्म देखने वाले कहाँ होंगे ? जीवन के अंधेरों में भटक गये होंगे।
-- राजेश जैन
 04-02-2015

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