पढ़ना
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सुदृढ़ , गरिमा से -पढ़ना क्या सिर्फ पैसे के उद्देश्य के लिये ,जरूरी है ? आज कॉलेज के विज्ञापन ऐसे हैं , "हमारे स्टूडेंट्स को अस्सी लाख का प्लेसमेंट"।
गरिमा -और मंदिर एवं धर्मालयों में धर्म का पढ़ने से बच्चों का सीखना , दूसरे धर्मावलम्बियों का निरादर ?
सुदृढ़ एवं गरिमा की बातें , सात वर्षीय बेटी गर्वोक्ति ने सुनली। बातें मम्मी,पापा के बीच आगे क्या हुयीं उस से बेखबर , उसके बालमन ने कुछ समझा एवं कुछ ठान लिया था ।
अब लगभग एक साल हुआ है। केदारनाथ जलजले के बाद खंडहर हुये , इस घर में बच्चे सप्ताह में एकबार रविवार को जुटते हैं। पहले, गर्वोक्ति सहित चार आते थे। अब तेरह हो गये हैं। वे विभिन्न धर्मी हैं. स्कूल और अपने धर्मालय से सप्ताह भर में पढ़े हुए की चर्चा करते है। इस उपाय को फिक्रमंद होते हैं कि कैसे ? पढाई का एकमात्र उद्देश्य धन न रह जाए और कैसे ? धर्मालय में प्राप्त ज्ञान का प्रयोग अन्य धर्मी के अपमान ,ईर्ष्या या वैमनस्य में न हो जाये।
--राजेश जैन
13-02-2015
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सुदृढ़ , गरिमा से -पढ़ना क्या सिर्फ पैसे के उद्देश्य के लिये ,जरूरी है ? आज कॉलेज के विज्ञापन ऐसे हैं , "हमारे स्टूडेंट्स को अस्सी लाख का प्लेसमेंट"।
गरिमा -और मंदिर एवं धर्मालयों में धर्म का पढ़ने से बच्चों का सीखना , दूसरे धर्मावलम्बियों का निरादर ?
सुदृढ़ एवं गरिमा की बातें , सात वर्षीय बेटी गर्वोक्ति ने सुनली। बातें मम्मी,पापा के बीच आगे क्या हुयीं उस से बेखबर , उसके बालमन ने कुछ समझा एवं कुछ ठान लिया था ।
अब लगभग एक साल हुआ है। केदारनाथ जलजले के बाद खंडहर हुये , इस घर में बच्चे सप्ताह में एकबार रविवार को जुटते हैं। पहले, गर्वोक्ति सहित चार आते थे। अब तेरह हो गये हैं। वे विभिन्न धर्मी हैं. स्कूल और अपने धर्मालय से सप्ताह भर में पढ़े हुए की चर्चा करते है। इस उपाय को फिक्रमंद होते हैं कि कैसे ? पढाई का एकमात्र उद्देश्य धन न रह जाए और कैसे ? धर्मालय में प्राप्त ज्ञान का प्रयोग अन्य धर्मी के अपमान ,ईर्ष्या या वैमनस्य में न हो जाये।
--राजेश जैन
13-02-2015
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