Sunday, September 7, 2014

अच्छी वस्तु सौंपा जाना उचित

अच्छी वस्तु सौंपा जाना उचित
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उपलब्धियाँ आज क्या हैं ?
ज्ञान प्राप्ति , मान-प्रतिष्ठा , सुख-सुविधा , धन-वैभव तो  पुरातन काल से मनुष्य जीवन उपलब्धियाँ कहलाता रहा है , ऐसा आज भी है।
पहले नशा और  माँसाहार देश के अधिकाँश समाज /हिस्से में वर्जित था , अब इनके सेवन करने वालों की सँख्या अत्यंत तेजी से बढ़ी है। ऐसा कहा जाता है , मजे नहीं किये तो क्या किया जीवन में ? यानि इसे आज जीवन उपलब्धियों में गिना जाने लगा है।
यौन व्यभिचार पहले धिक्कारा जाता था . देश में अभी थोड़ा छिपे तौर पर किया जाता है  लेकिन कुछ समय में पश्चिमी विश्व जैसे यहाँ भी हम खुले तौर पर बेशर्मी पर उतर आयें तो आश्चर्य नहीं होगा। जिस तेजी से मीडिया ( फिल्म, नेट , मोबाइल आदि) इसे परोस रहें हैं। आज पोर्नस्टार , फ़िल्मी अभिनेता -अभिनेत्री होकर लाखों को प्रभावित कर उन्हें प्रशंसक बना लेने में सफल हो रहे हैं। आज पश्चिमी शैली से प्रभावित लोग , इसे भी उपलब्धि कहने लगे हैं।

परोपकार , दया और त्याग पहले जिनके जीवन और आचरण में होती थी , इसे श्रेष्ठ उपब्धियों में समाहित किया जाता था। ऐसे व्यक्ति बहुतायात में होते थे।  आज नई तरह की इन उपलब्धियों के पीछे भागते त्याग करने का समय ही नहीं है। जब सब तरफ अपनी ओर खींच लेने की होड़ मची है। आंज ये उपलब्धि नहीं रह गए हैं .

सच्चे परोपकार , दया और त्याग भावना रखने वाले बिरले हो गए हैं। देश और समाज में बुराई और समस्या इन कारणों से नितदिन बढ़ रही हैं। 
आज कही जा रही उपलब्धियों (भ्रामक) की प्रतिस्पर्धा का हिस्सा ना बनकर , परोपकार , दया और त्याग भावना अपनाने की स्पर्धा में हम सब जुट जायें।  तब स्वस्थ संस्कृति और मानवता पुर्नस्थापित होगी और विशेषकर नारी और सभी सुरक्षित होकर सुखमय जीवन सुनिश्चित कर सकेंगे।  हमारी पीढ़ी पर ये दायित्व है।  हम असफल हुये तो चुनौतियाँ क्रमशः गंभीरतम होकर आगामी पीढ़ियों को हस्तांतरित होती रहेगी।

किसी को सौंपना है तो अच्छी वस्तु सौंपा जाना उचित होता है।  खराबी या समस्या अगली पीढ़ी को ( जो हमारे ही बच्चे होंगे ) को सौंपना हमारी पीढ़ी पर कलंक ही होगा।

--राजेश जैन
07-09-2014

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