बहुमूल्य और अनमोल
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(कीमती और बेशकीमती गिफ्ट)
मल्टी नेशनल कंपनी , में जॉब को पहुंची मेरी बेटी ने एक दिन में मुझे दो वस्तुएं दीं।
एक - है , मूल्यवान सेल फ़ोन (मोबाइल).
दूसरी - यह वस्तु नहीं है , अपितु सेल फ़ोन पर दी एक सूचना है। " प्यारी बेटी" ने मुझे बताया कि , उसकी साथी फ्रेंड्स , ऑफिस के समय में , मूवी देखने गये हैं , उसने इसके लिये मना कर दिया और वह ओरेकल (एसक्यूएल) पर दिये गये असाइनमेंट को पूरा करने में लगी रही।
दूसरी वस्तु , एक पापा (पिता) के सपने के अनुरूप है। वास्तव में गलत बात के लिये एक ग्रुप को (उसके दबाव को) मना करना, वह हिम्मत है जो एक-दो और इस तरह की मनाही के बाद , नई जगह में उसे एक ऐसी पहचान दे देगी , जिससे भविष्य में वह अपना सुखद जीवन सुनिश्चित कर सकेगी। उस जीवन में सुख के साथ सार्थकता भी होगी। वह ऐसे विचारों और सद्कर्मों की धनी होगी , जो दूसरों में सद्प्रेरणा का प्रचार और संचार करते हैं.
दूसरों के लिए मोबाइल एक कीमती उपहार हो सकता है , किन्तु एक पिता के लिए , बेटी का सच्चापन और कर्तव्य परायणता अनमोल (बेशकीमती) उपहार होता है।
वास्तव में सुखद और सार्थक मनुष्य जीवन की बुनियाद सद्-विचारों और सद्कर्म होते हैं , इसमें धन वैभव का होना ना होना महत्वहीन होता है। हमारे आज के समाज को जीवन सार्थक करने वाले अनेक युवाओं की आवश्यकता है। जो बुराई की ओर बढ़ते प्रवाह की दिशा मोड़ सकें।
बेटी मैं (एक पिता) आज बहुत आनंदित हूँ।
--राजेश जैन
25-09-2014
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(कीमती और बेशकीमती गिफ्ट)
मल्टी नेशनल कंपनी , में जॉब को पहुंची मेरी बेटी ने एक दिन में मुझे दो वस्तुएं दीं।
एक - है , मूल्यवान सेल फ़ोन (मोबाइल).
दूसरी - यह वस्तु नहीं है , अपितु सेल फ़ोन पर दी एक सूचना है। " प्यारी बेटी" ने मुझे बताया कि , उसकी साथी फ्रेंड्स , ऑफिस के समय में , मूवी देखने गये हैं , उसने इसके लिये मना कर दिया और वह ओरेकल (एसक्यूएल) पर दिये गये असाइनमेंट को पूरा करने में लगी रही।
दूसरी वस्तु , एक पापा (पिता) के सपने के अनुरूप है। वास्तव में गलत बात के लिये एक ग्रुप को (उसके दबाव को) मना करना, वह हिम्मत है जो एक-दो और इस तरह की मनाही के बाद , नई जगह में उसे एक ऐसी पहचान दे देगी , जिससे भविष्य में वह अपना सुखद जीवन सुनिश्चित कर सकेगी। उस जीवन में सुख के साथ सार्थकता भी होगी। वह ऐसे विचारों और सद्कर्मों की धनी होगी , जो दूसरों में सद्प्रेरणा का प्रचार और संचार करते हैं.
दूसरों के लिए मोबाइल एक कीमती उपहार हो सकता है , किन्तु एक पिता के लिए , बेटी का सच्चापन और कर्तव्य परायणता अनमोल (बेशकीमती) उपहार होता है।
वास्तव में सुखद और सार्थक मनुष्य जीवन की बुनियाद सद्-विचारों और सद्कर्म होते हैं , इसमें धन वैभव का होना ना होना महत्वहीन होता है। हमारे आज के समाज को जीवन सार्थक करने वाले अनेक युवाओं की आवश्यकता है। जो बुराई की ओर बढ़ते प्रवाह की दिशा मोड़ सकें।
बेटी मैं (एक पिता) आज बहुत आनंदित हूँ।
--राजेश जैन
25-09-2014
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