Sunday, September 28, 2014

कैसे हम बहन , पत्नी या बेटी रक्षक

कैसे हम बहन , पत्नी या बेटी रक्षक
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बहन की रक्षा का वचन रक्षा सूत्र -बंधन में , पत्नी के रक्षक का दायित्व , विवाह के समय वचन में और बेटी की रक्षा का भार उसके पिता बनने के साथ हर पुरुष पर हमारी संस्कृति से होता है , हम निभा पाते हैं उसे ? विचार करने के लिए साहित्यकार के शिष्टाचार के साथ कुछ उल्लेख इस लेख में प्रस्तुत हैं।

खिले मुख बुझ जाते हैं
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दो युवतियाँ राह में जा पैदल जा रही हैं , दोनों आपसी बातों में मगन और आनंदित हैं इसमें उनकी राह खिले  मुख के साथ कट रही है।  तब उनके सामने से कुछ युवक क्रॉस करते हैं , कुछ उनसे कहते हैं।  आगे की राह में युवतियों के मुख बुझे हुए होते हैं।

आत्मविश्वास खो जाता है
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एक वर्किंग लेडी ,स्कूटी में खराबी से सिटी बस से आज ऑफिस जा रही है , चेहरे पर आत्मविश्वास झलक रहा है , तब आगे निकलने की कोशिश दर्शाता एक प्रौढ़ पुरुष, हरकत करता है। बाद के सफर में उस आत्मविश्वासी नारी मुख से आत्मविश्वास खोया होता है।

कल्पना बिखरती -सपने टूट जाते हैं
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पिता सयानी हुई पुत्री का विवाह करते हैं , बेटी सुखद संसार की भिन्न भिन्न कल्पनाओं के साथ और जीवन सपने लिये पति के घर में आती है।  कुछ दिनों में उसे ज्ञात होता है , पति कामावेग बढ़ाने के कृत्रिम उपाय करता है , और कई भटकी युवतियों से सबंध रखता है। इस नव ब्याहता की कल्पनायें बिखरती हैं और जीवन सपने टूट जाते हैं।

पढने की मगनता में विघ्न आ जाता है
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बारहवीं क्लास में ब्रेक के पहले तन्मयता से टीचर द्वारा पढ़ाया जा रहा विषय पढ़ रही एक बेटी , लंच ब्रेक में मोबाइल पर कोई sms /mms देखती है , ब्रेक के बाद क्लास में उसका मन उचटा दिखता है उसकी मगनता में विघ्न स्पष्ट देखा जा सकता है।

ऐसे और कई तरह के किस्से (अपराध) हमारी बहन-बेटियों के साथ होते हैं , जिनके विरुध्द कार्यवाही या अपराध सिध्द करवा पाना कठिन होता है। घर में वे पिता ,भाई या पति जो उनके रक्षक होते हैं को इस भय से नहीं कहती की हरकत/छेड़छाड़ या चरित्र से बिगड़ा पुरुष उनके पिता ,भाई या पति पर भारी पड़ कर उन्हें क्षति पहुँचा सकता है।  ये अपराध , बहुत बड़े नहीं होते हैं , लेकिन नित होते हैं नारी के खिले मुख ,आत्मविश्वास ,सपने या पढने की मगनता को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। 

हममें से ही कुछ पुरुष , नारी की कमजोर शारीरिक शक्ति , और मानसिक करुणा (परिजन उनके कारण विपत्ति न ले बैठे ) के कारण छिपे तौर पर घटियापन करते हैं। कुछ नारी तो वीरता दिखा पाती हैं , और प्रतिरोध करती हैं , अधिकाँश प्रतिरोध का साहस नहीं कर पाती हैं। शक्तिशाली पुरुष कमजोर को शिकार बनाने की कायराना दुष्कर्म करते हैं। वह शक्तिशाली है या कायर है ?  इस तरह के पुरुष समाज में फैले पड़े हैं।  इनकी भी बहन -पत्नी और बेटी होती  हैं जो दूसरे इसी तरह के पुरुषों द्वारा ऐसे शोषण की शिकार होती हैं।

इसलिए विकराल यह प्रश्न उठता है , कैसे हम बहन , पत्नी या बेटी के रक्षक हैं ?

-- राजेश जैन
29-09-2014



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