साधारण व्यक्ति , विख्यात से श्रेष्ठ हो जाता है
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अगर हम विख्यात हैं , और हमसे प्रभावित हो सकने वालेहजारों हैं तब कुछ सैकड़ा ऐसे भी होंगे , जो हमारे जैसा करने की कोशिश करेंगे।
इस स्थिति में हमारा अच्छा कर्म और आचरण हमें सैकड़ों गुना पुण्य अर्जित कराता है। इसके विपरीत हमारे दुष्कर्म , दुराचार और अपराध हमें सैकड़ों गुना पाप का भागीदार बनाता है।
विख्यात को 1 सद्कर्म करने पर अच्छी प्रेरणा बनने पर 100 पुण्य का प्रतिफल मिल सकता है। जबकि साधारण 1 पुण्य से मात्र 1 पुण्य का प्रतिफल ही पाता है।
विपरीत स्थिति में साधारण उस प्रख्यात की तुलना में महान हो जाता है जब उसका एक दुष्कर्म उसके खाते में एक पाप बढ़ाता है , जबकि प्रख्यात का एक दुष्कर्म उसे 100 के बराबर पाप प्रतिफल का हकदार बना देता है।
"साधारण व्यक्ति , विख्यात से श्रेष्ठ हो जाता है। "
इसलिये विख्यात जिसे नायक , नेता ,महान या धर्मगुरु आदि की तरह देखा जाता है , उसे दुष्कर्म , दुराचार और अपराध से बचना चाहिये। उसे सजग और अपनी इस स्थिति का जानकार होना चाहिए।
अन्यथा समाज और देश में अधिकाँश व्यक्ति दुष्कर्मी , दुराचारी और अपराधी ही बनने लगेंगे।
--राजेश जैन
04-09-2014
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अगर हम विख्यात हैं , और हमसे प्रभावित हो सकने वालेहजारों हैं तब कुछ सैकड़ा ऐसे भी होंगे , जो हमारे जैसा करने की कोशिश करेंगे।
इस स्थिति में हमारा अच्छा कर्म और आचरण हमें सैकड़ों गुना पुण्य अर्जित कराता है। इसके विपरीत हमारे दुष्कर्म , दुराचार और अपराध हमें सैकड़ों गुना पाप का भागीदार बनाता है।
विख्यात को 1 सद्कर्म करने पर अच्छी प्रेरणा बनने पर 100 पुण्य का प्रतिफल मिल सकता है। जबकि साधारण 1 पुण्य से मात्र 1 पुण्य का प्रतिफल ही पाता है।
विपरीत स्थिति में साधारण उस प्रख्यात की तुलना में महान हो जाता है जब उसका एक दुष्कर्म उसके खाते में एक पाप बढ़ाता है , जबकि प्रख्यात का एक दुष्कर्म उसे 100 के बराबर पाप प्रतिफल का हकदार बना देता है।
"साधारण व्यक्ति , विख्यात से श्रेष्ठ हो जाता है। "
इसलिये विख्यात जिसे नायक , नेता ,महान या धर्मगुरु आदि की तरह देखा जाता है , उसे दुष्कर्म , दुराचार और अपराध से बचना चाहिये। उसे सजग और अपनी इस स्थिति का जानकार होना चाहिए।
अन्यथा समाज और देश में अधिकाँश व्यक्ति दुष्कर्मी , दुराचारी और अपराधी ही बनने लगेंगे।
--राजेश जैन
04-09-2014
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