Friday, September 26, 2014

मुस्कराहट

मुस्कराहट
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अभी कुछ नहीं बिगड़ा , लौटा के वह आदत ले आयें
सुबह भी हम हँसते उठे और शाम तक भी मुस्कुराएं


यह तब ही संभव है जब नित परोपकार हम करते हैं
परोपकार के साथ ही अपने पर उपकार हम करते हैं


अन्य अगर हमारे सहारे से मित्रों , जब मुस्कुराते हैं
अपने सुबहोशाम मुस्कुराने का इंतजाम हम करते हैं


--राजेश जैन
26-09-2014

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