Sunday, March 17, 2013

मेरा फेसबुक एक वर्ष - एक लेखा जोखा

मेरा फेसबुक एक वर्ष - एक लेखा जोखा 
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20 मार्च 12 वह दिन इसके पहले ना चाहता था , यहाँ आना पर इस दिन आ गया फेसबुक पर कुछ लक्ष्य लेकर .
अब एक वर्ष हो रहे हैं ,आंकलन कर रहा हूँ , उद्देश्य पूर्ती कितनी सफल /असफल रही .
पांच  खण्डों में लेखा जोखा प्रस्तुत है .
1. व्यय . 2. प्राप्त . 3. लाभ .4. हानि . 5.निष्कर्ष 

1. व्यय-  फेसबुक के लिए नेट चार्जेज ....                               9000/
               लगभग 1000 घंटे का समय व्यय (पारिश्रमिक)  150000/    (नौकरी से मुझे 108000 रु मासिक . मिलते हैं अतः 108000/720=150                                                                  ......................................................................................................................................................रु प्रति घंटा मेरा पारिश्रमिक 
               अन्य व्यय (बिजली , लैपटॉप डेस्कटॉप डेप .)         5000 /
इस तरह आर्थिक रूप से लगभग 164000/ रु व्यय माना जा सकता है जो कहा जाए तो थोडा भी होता है और बहुत भी .
2. प्राप्त - लक्ष्य था 50 वर्ष से अधिक का जीवन हुआ था , परिवार ,समाज और देश से प्रमुख रूप से कुछ लेता ही आ रहा था , इनके मेरे पर इन्वेस्टमेंट पर मेरे द्वारा रिटर्न थोडा ही रहा था . ऋण काफी शेष था लौटाना . प्रतिदान के लिए लेखन माध्यम से कुछ लौटाऊं यह तय किया था . लौटा अधिक नहीं सका  क्षेत्र मेरा सीमित रहा जिसमें यह प्रसारित रहा (मेरा लेखन कार्य ) . साथ ही लेखन ओजस्वी नहीं हो सका . प्राप्त में यही कहा जा सकता है .. आरम्भ किया जा सका और निरंतरता रही  यही संतोष प्राप्त हुआ . किसी से बैर नहीं बढाया , मधुरता ही प्रमुख रही यह भी प्राप्त श्रेणी में उल्लेखनीय है .

3. लाभ - अपरिचित फ्रेंड बने जो भारत में मेरे पड़ोस से लेकर विभिन्न शहरों में , तथा देश के बाहर भी रहते हैं . इनसे प्रोत्साहन ,मार्गदर्शन , स्नेह, सम्मान ,प्रेरणा मिलती रही . लेखन में उत्तरोत्तर सुधार  आया . काव्य कुछ इस वर्ष के पहले ना लिख पाया था . कुछ इस विधा में रचनाएँ लिख सका . फेसबुक पर अपनी आई डी के अतिरिक्त अपने समूह और पेज बनाये . ग्रुप तो सफल नहीं रहे पर पेज से आशायें जागी पेज  निम्न हैं ...
अ .- प्रेरणा-मानवता और समाज हित      बी .- नारी चेतना और सम्मान रक्षा 
इसके अतिरिक्त नेट पर ब्लॉग लिखा . A SEED TO PLANT TODAY  ( प्रस्तुति पूरी हिंदी में है ,सिर्फ नाम अंग्रेजी में था . ) जब क्रिएट किया था स्वयं हिंदी में की-इन नहीं करना जानता था . इसी वर्ष यह भी सीखा . लाभ इस तरह उत्साहवर्धक मानता हूँ 

4. हानि - हालांकि किसी की निजता में दखल मंतव्य नहीं था . फेसबुक पर नया था अनुभव नहीं अतः अति-उत्साहित हो शीघ्र दायरा बढ़ा लूं उस नियत से अपरिचितों को फ्रेंड रिक्वेस्ट , सन्देश प्रेषित करता रहा (आरम्भ के महीनों में ) .. किसी में मर्यादा हीन आशय या शब्द नहीं थे . पर कुछ ने(विशेषकर अपरिचित बहनों ने )  इस तरह पसंद नहीं किया ( सन्देश के जबाब में कुछ नहीं भेजा ) और दो तीन ने मुझे ब्लाक भी किया .जब मनन किया तो बहनों ने इस तरह किया तो सहज लगा . क्योंकि (सभी नहीं पर ) हम पुरुषों ने उनकी उदारता को छलने का एक चलन सा जो बना रखा है .अपरिचितों को फ्रेंड रिक्वेस्ट लेकर  एक बार मुझे फेसबुक की ओर से वार्न भी किया गया . इस सब से सीख लेकर मैंने सुधार तो किया पर अब सफाई भी प्रेषित करने से संकोच है . हानि में इसे उल्लेख इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि अनजाने में कुछ साथियों को मानसिक पीड़ा मेरे अनाधिकृत प्रयासों से हुई . और कुछ अपरिचितों की ब्लाक लिस्ट में मै अप्रिय रूप से सम्मिलित हूँ .

5 .निष्कर्ष - मानवता , समाज हित, नारी चेतना और उनका सम्मान मेरा प्रमुख चिंतन विषय है .मेरे पेजों के माध्यम से मुझे सक्रिय बने रहना उचित प्रतीत होता है . अपनी जीवन-संगिनी ,श्रीमती रचना जैन को भी को एडमिन रख मै  अपने मंतव्यों को आगे की दिशा जारी रखूँ स्वयं ऐसा मानता हूँ ... आप आदरणीय /आदरणीया जो पूरा पढने की उदारता मेरे साथ रख रहे हैं . अपनी राय दें .
नोट - मेरे किसी भी पोस्ट में यथा संभव धर्म ,जाति ,राजनीति या व्यक्ति विशेष कभी दुर्भावना से लक्ष्य नहीं बनाया जाए , यह सतर्कता प्रमुख रहती है .


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