Tuesday, March 26, 2013

यह पुरुष निर्लज्जता -मर्दानगी ?

यह पुरुष निर्लज्जता -मर्दानगी ?
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वर्षों पुरानी वह होली का दिन .  सिध्दांत और आनंद दोनों अविवाहित एक स्थान पर पदस्थापना में एक क्वार्टर में रहने लगे पूर्व परिचय ज्यादा नहीं पर अब मित्र जैसे रह रहे थे . विभागीय कालोनी में होली खेलने उपरांत , आनंद ने कहा , हमारे समाज के दूर के रिश्ते के लोग हैं . उनसे होली खेल आता हूँ .
वहां से आनंद वापिस आया तो अत्यंत प्रसन्न लगा .सिध्दांत ने जिज्ञासा प्रकट की तो बताया , उनके  यहाँ विवाह योग्य कन्या है . होली के बहाने उससे छेडछाड कर ली . सिध्दांत ने पूछा उसने विरोध नहीं किया ?
आनंद .. अपन इंजिनियर हैं ना , लगता है वे लोग उसके मेरे से विवाह को उत्सुक हैं ,अतः खुश ही हैं .हमारी बढती निकटता से .
सिध्दांत .. क्या तुम विवाह करोगे उससे ?
आनंद  .. नहीं , लड़की दिखने में तो ठीक है , पर आधुनिक नहीं है . मेरे मैच की नहीं है .
सिध्दांत .. फिर तुमने जो किया वह उचित है ?
आनंद ने उत्तर नहीं दिया . सिध्दांत सोचने लगा . भारतीय परिवार में दाम्पत्य जीवन में पति और पत्नी शारीरिक रूप से परस्पर एकाधिकार पसंद होते हैं . वह कन्या आनंद से नहीं ब्याही जाती है . और आज से बनने आरम्भ एक  आशा के महल के वशीभूत वह मासूम कन्या आनंद की अनुचित और छली इस तरह की गतिविधियों को सहन कर बाद में इन्कार उसे मिलेगा तो क्या दृश्य होगा .
आनंद किसी और से ब्याह का लेगा . बाध्य हो उस कन्या को किसी और को पति रूप वरण करना होगा . क्या वह अपने पति या किसी और से लज्जा वश इस किस्से की चर्चा कर सकेगी .शायद नहीं . उसे निश्चित ही जीवन में समय समय पर पछतावा और स्वयं पर धिक्कार से दुखी होना पड़ेगा .
पर आनंद , वह अपनी पत्नी से तो नहीं पर यार, दोस्तों से यह किस्सा मर्दानगी के रूप में बताकर आनंद लेगा .
सिध्दांत ,जिसका  इस विषय में यह सिध्दांत है , कि क्षणिक सुख के लिए किसी नारी को इस तरह ठगना  जिससे स्वयं विवाह को लेकर गंभीर नहीं हों बिलकुल अनुचित है सोच रहा है 
क्या यह पुरुष निर्लज्जता -मर्दानगी है ?
 
होली ऐसा पावन अवसर है .मेल मिलाप का बहाना और बैर दूर करने का अवसर कोई इसे इस तरह प्रयोग तो ना करे ...

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