मानवता की समाज में शीर्ष पर पुनर -स्थापना
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प्रभात कालीन भ्रमण से लौट रह था वह . रास्ते में भीड़ कम थी .एक बन्दर का छोटा बच्चा सड़क पार करने दौड़ पड़ा .और अचानक आ रही बाइक से टकरा कर बेसुध सड़क पर औंधा पड़ गया . देख उसका ह्रदय करुणा से भर गया . मुहं से चीत्कार का सा स्वर निकला . तुरंत कुछ नहीं समझ सका .तभी सामने ऑफिस में गार्ड नजर आया उससे पानी की गुहार लगाई . गार्ड मटके से एक गिलास जल भर लाया . बन्दर के ऊपर जल के छींटे मारे गए . बन्दर की चेतना लौटी . वह उठा कुछ अजीब तरह से चलता सड़क के किनारे चल पड़ा . उसके चलने के अंदाज से उसके पैरों (और हाथों ) की अंदरूनी चोट का आभास मिल रहा था . उसे राहत अनुभव हुई लगा बन्दर बच जायेगा कदाचित .
बन्दर कष्ट से ही सही सड़क किनारे पहुँचा देख ,उसने कदम आगे बढ़ा लिए .
आगे के भ्रमण में अपने व्यवहार की समीक्षा करने लगा . बन्दर टकरा कर बेसुध से होश में आया . क्या जल के छींटे के प्रभाव से ? या टकराने के बाद बीते 2-3 मिनट के बाद स्वयं सुध वापस आया उसका .
सोचा प्राण बचे उसके . उसमे जल सहायक सिध्द हुआ भी या नहीं ,महत्वहीन है . पर तुरंत बचाव का नेक विचार आना ऐसे क्षण में , सिध्द कर रहा था अन्दर का मनुष्य अभी जीवित है .
विपरीत वातावरण में भी यदि मानवता शेष है किसी में तो आशा की किरण है, और हम आशावान रह सकते हैं किसी दिन फिर मानवता सभ्य इस मनुष्य समाज में शीर्ष पर स्थापित हो सकेगी .
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प्रभात कालीन भ्रमण से लौट रह था वह . रास्ते में भीड़ कम थी .एक बन्दर का छोटा बच्चा सड़क पार करने दौड़ पड़ा .और अचानक आ रही बाइक से टकरा कर बेसुध सड़क पर औंधा पड़ गया . देख उसका ह्रदय करुणा से भर गया . मुहं से चीत्कार का सा स्वर निकला . तुरंत कुछ नहीं समझ सका .तभी सामने ऑफिस में गार्ड नजर आया उससे पानी की गुहार लगाई . गार्ड मटके से एक गिलास जल भर लाया . बन्दर के ऊपर जल के छींटे मारे गए . बन्दर की चेतना लौटी . वह उठा कुछ अजीब तरह से चलता सड़क के किनारे चल पड़ा . उसके चलने के अंदाज से उसके पैरों (और हाथों ) की अंदरूनी चोट का आभास मिल रहा था . उसे राहत अनुभव हुई लगा बन्दर बच जायेगा कदाचित .
बन्दर कष्ट से ही सही सड़क किनारे पहुँचा देख ,उसने कदम आगे बढ़ा लिए .
आगे के भ्रमण में अपने व्यवहार की समीक्षा करने लगा . बन्दर टकरा कर बेसुध से होश में आया . क्या जल के छींटे के प्रभाव से ? या टकराने के बाद बीते 2-3 मिनट के बाद स्वयं सुध वापस आया उसका .
सोचा प्राण बचे उसके . उसमे जल सहायक सिध्द हुआ भी या नहीं ,महत्वहीन है . पर तुरंत बचाव का नेक विचार आना ऐसे क्षण में , सिध्द कर रहा था अन्दर का मनुष्य अभी जीवित है .
विपरीत वातावरण में भी यदि मानवता शेष है किसी में तो आशा की किरण है, और हम आशावान रह सकते हैं किसी दिन फिर मानवता सभ्य इस मनुष्य समाज में शीर्ष पर स्थापित हो सकेगी .
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