Thursday, March 7, 2013

प्रिय पुत्री

प्रिय पुत्री ,

तुमने मेरे जन्म-दिन पर पत्र लिखा था जिसमें लिखित एक एक भाव ने पत्र पढने के क्षणों को मेरे जीवन के अविस्मरणीय पल बना दिया था . उसके पूर्व मैंने तुम सहित दोनों बेटियों को घर के प्रति दायित्व बोध रखती , समझदार , और प्यारी तो माना था पर यह नहीं जानता था कि तुम और दीदी (तुम्हारी ) अपने साधारण पिता और परिवार के लिए ह्रदय में इस तरह के असाधारण भाव और सम्मान रखती हो . तुम्हें मै साइंस और इंजीनियरिंग की प्रतिभावान स्टूडेंट तो जानता था , पर ऐसे भावपूर्ण पत्र को लिख सकने की तुम्हारी क्षमता से अपरिचित था . अभी आगे भी पुत्रियों के प्रति मेरे दायित्व निभाना शेष हैं . इन्हें मै निभाने का कार्य और प्रयत्न जारी रखूँगा . पर तुम दोनों ने जिस तरह गंभीरता और सजगता से अपने कार्य और कर्तव्यों को समझा है , तथा अपने आचार और विचार रख शैक्षणिक समय का सदुपयोग कर रही हो , मुझे विश्वास होता है तुम दोनों ही परिवार, समाज और देश के लिए गौरव पूर्ण उपलब्धियां अपने जीवन में हासिल करोगी . यह विश्वास मुझे यह भी बताता है कि आगे के पुत्रियों और परिवार के प्रति मेरे कर्तव्य लगभग प्रयत्नहीनता  (एफर्टलेस)  से मै पूरे कर सकूँगा . तुम, दीदी और मम्मी (तुम्हारी) ने जिस तरह मुझे सम्मान ,प्रेम और सहयोग दिया है मै  परिवार के लिए कम प्रयासों से दायित्व निभा सका हूँ . जिससे ज्यादा समय और श्रम  मैंने अपने विभाग और इस तरह देश के सिस्टम को चलाने में लगाया है . अपने सामर्थ्य अनुसार ज्यादा प्रयास लगायें हैं . और आत्मिक -संतोष अनुभव किया है .
अब तक जीवन में  जिस स्थिति में आ सका हूँ . उसे मै परिवार ,समाज और देश से बिना मूल्य चुकाए मिला मानता हूँ .अतः मुझे प्रतिदान हेतु सामाजिक दायित्वों का अनुभव हो रहा है . एक उत्कंठा ऐसी उत्पन्न हो रही है कि  मै अपने समय के उन मानव साथियों का बड़ा भाई , या पिता समान कर्तव्यों को समर्पित करूँ जिन्हें जीवन में अपरिहार्य कारणों से या तो उचित संस्कार ना मिल सके हों या जिन्होंने बुरी संगतों में या बुरे सम्मोहनों में प्राप्त संस्करों को विस्मृत कर दिया है . जिस से वे स्वयं और समाज कठिन वातावरण में जीवन को बाध्य हो रहे हैं .मेरे मन में उन्हें फिर से संस्कारित आचार और कर्म की भावना जागृत करने के लिए जीवन का शेष समय लगा देने की भावना जोर मारती है . मै चाहता हूँ कोई भी युवती/युवक  मुझमें अपने भाई की , छोटी बच्चे  पिता सी , और बढ़ी महिलायें और पुरुष  बेटे सी छवि देख सकें .अपने लेखन के माध्यम से इसे प्रतिदिन करते हुए संतोष होता है . मुझे लगता है ऐसे और  प्रबुध्द इस प्रकार से सक्रिय हुए तो हमारा देश और समाज सुखी बन सकेगा . वंचित तथा देश के बहन , बेटियां और नारियां सम्मान और सुरक्षित होने का बोध कर सकेंगी .

आज तुम्हारा जन्म दिन है , उसकी तुम्हें बहुत बहुत शुभ-कामनाएं . तुमें यह बताना भी उचित होगा कि दोनों सपुतनियों को पा कर मुझे और तुम्हारी मम्मी को भी यह लगता है कि हमारे घर में विश्व की अच्छी बेटियों में से दो ने जन्म लिया है . तुम दोनों अपनी शिक्षा इसी तरह पूर्ण योग्यता से जारी रखो . और आधुनिकता में से अच्छाई और प्राचीन संस्कृति और संस्करों से अच्छाई ग्रहण करते हुए अपने आचार व्यवहार में संतुलन से   इसी तरह निरंतरता रखते हुए .. जीवन पथ पर पूरी भारतीय नारी के गरिमा के तरह अग्रसर होती जाओ .
तुम्हारा ,
पापा (राजेश जैन )
27-01-2013

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