(हमारी एक भारतीय बहन दुर्घटना में चली गई, यह दुर्घटना थी
पर रोज अकाल मौतों के प्रत्यक्ष /परोक्ष कारण स्वयं मनुष्य क्यों बनता है ? )
जीवन की नश्वरता
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प्राणी मात्र के जीवन की नश्वरता
क्षणभंगुर जीवन सत्य विडम्बना
दुखद समाप्त जीवन सम्भावना
होती पूरी गर मिलता पूरा जीना
एक पल पहले था जो जीव शरीर में
हाय दुर्घटना ना शेष अब शरीर में
हे मानव ऐसा सुन्दर विश्व बनाओ
ना हो शिकार कोई असमय मौत का
मातम ना देखें हम युवा अवसान का
हाय अनहोनी पितृ मातम में आती
प्रिय बेटी कोई इस तरह चली जाती
ह्रदय फटता कैसे सहें विछोह परिजन
हम समझते स्वयं को बड़ा बुध्दिमान
हांके ढींग बहादुरी की अपनी बहुत
बनायें ना फिर, दुनिया इतनी प्यारी
ना जा सके मनुष्य असमय ऐसे कोई
--राजेश जैन
15-03-2013
पर रोज अकाल मौतों के प्रत्यक्ष /परोक्ष कारण स्वयं मनुष्य क्यों बनता है ? )
जीवन की नश्वरता
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प्राणी मात्र के जीवन की नश्वरता
क्षणभंगुर जीवन सत्य विडम्बना
दुखद समाप्त जीवन सम्भावना
होती पूरी गर मिलता पूरा जीना
एक पल पहले था जो जीव शरीर में
हाय दुर्घटना ना शेष अब शरीर में
हे मानव ऐसा सुन्दर विश्व बनाओ
ना हो शिकार कोई असमय मौत का
मातम ना देखें हम युवा अवसान का
हाय अनहोनी पितृ मातम में आती
प्रिय बेटी कोई इस तरह चली जाती
ह्रदय फटता कैसे सहें विछोह परिजन
हम समझते स्वयं को बड़ा बुध्दिमान
हांके ढींग बहादुरी की अपनी बहुत
बनायें ना फिर, दुनिया इतनी प्यारी
ना जा सके मनुष्य असमय ऐसे कोई
--राजेश जैन
15-03-2013
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