Monday, August 31, 2015

समर्पण ,प्यार ,त्याग ,बाद भी ....

समर्पण ,प्यार ,त्याग ,बाद भी ....
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ह्रदय में दया ,करुणा एवं प्यार होने से नारी ,प्यार में सहज पड़ती है
ममता बेल ,उसमें होती , दुखी देख किसी को मन ममता उमड़ती है

जीवन मिलता , मनुष्य बढ़ता-चलता , नारी जगत धुरी में रहती है
महत्वपूर्ण  रह कर भी ,सम्मान अभाव में जीवन में अधूरी रहती है

अर्थ आश्रिता बना पुरुष ने ,विकट समाज मर्यादायें उन पर थोपीं हैं
उनके समर्पण ,प्यार ,त्याग ,बाद भी ,पुरुष धूर्तता की छुरी भोंकी है

निरंतर पुरुष छल के छिड़काव से करुणा ,वह ममता बेल सूखती है
लाचार नारी ,पुरुष धूर्तता को धूर्तता के ,अब प्रत्युत्तर दे मिलती है

गर पसंद पुरुष तुम्हें तो ,बेशक तुम वह करो ,मन तुम्हारा कहता है
पर जान लो ,बना ली स्वयं जैसी तो जीवन सुख ,ना रहा दिखता है
--राजेश जैन
01-09-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

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