Monday, August 24, 2015

बहन हो चाहत न बची ,बेटी जन्मने की हिम्मत न रही

बहन हो चाहत न बची ,बेटी जन्मने की हिम्मत न रही
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हरम में रखा गुलाम बना कर ,व्यभिचार आजमाया है
पुरुष के मनोविकार ने ,काल पे कुकर्म बाढ़ ले आया है
ले चपेट में ,'नारी मन' में पवित्र प्रवाहित होती गंगा को 
कामुकता सागर में डुबो कर , पाताल लोक पहुंचाया है 

चहुँ ओर कामुकता किस्से ,साहित्य में यही समाया है
फिल्मकारों और शराब ने ,अश्लील दृश्य फिल्माया है

वैभव न रहा भलाई , लालसा हेतु सबने यह बढ़ाया है 
बचपन ,बुढ़ापे तक के जीवन को सेक्स में ही डुबाया है 

नारी समानता चाहत को ,नशा व्यसनों में भटकाया है
शोषण मुक्ति जूझती नारी को ,शोषण में ही डुबाया है
बहन हो चाहत न बची ,बेटी जन्मने की हिम्मत न रही
नारी को भोगवाद ने ,वासनापूर्ती की वस्तु ही बनाया है 
--राजेश जैन
25-08-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

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