Saturday, August 22, 2015

मुश्किल है नारी की ही

मुश्किल है नारी की ही
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करता है कुछ ,कोई अन्य के करने को देख कर
हमारी करनी ,देख हमें ,ज़माना सब सीख रहा है

फुसलाते हम, अन्य की पत्नी ,बहन ,बेटियों को
वह हमारी बहन ,बेटियों को छलना सीख रहा है

हमें-उसे भी छलना पसंद , मुश्किल है नारी की ही
ऐयाशी पसंद सबको यदि ,रखें क्यों बैर आपस में ही ?

असंयम थी रीत पहले भी ,तजी उसे मानव अनुभव ने
ऐयाशी में ठोकर खा ,संयम लाना पड़ेगा फिर एक दिन

पुरुष विवेक पर छाया अँधेरा ,दूर होगा जरूर एक दिन
नारी रहो अलिप्त ऐयाशी में , तुम लाओ जल्द वह दिन
--राजेश जैन
 22-08-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman
 

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