Sunday, August 23, 2015

धर्म आड़ में

धर्म आड़ में
--------------
कोठे से उद्गमित नाले ने वीभत्स रूप पाया है
फिल्मों ,मीडिया से व्यभिचार बाढ़ ले आया है   

सम्मोहनों से पड़े अक्ल पर पर्दे ने अंधत्व लाया है
धर्म आड़ में तक पाखंडियों ने पीढ़ी को भटकाया है

रख चरित्र ,तैर कामुकता बाढ़ में ,भव्य भारत बचता था
पाश्चात्य चपेट में भारतीयों ने भी ,इसमें गोता खाया है

नशा सामग्री ,थोथी नारी स्वतंत्रता ने माहौल बनाया है
पार्क ,होटल ,पबों में कोठे ने नये रूप में स्थान बनाया है

नाला बना व्यभिचार का सागर ,मनुष्य आकंठ डूब रहा
जन्म लो अवतार ,उतारो बाढ़ पुनः अपने पग धर कर 
--राजेश जैन
24-08-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman
 

No comments:

Post a Comment