जोधा कहीं के
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निच्छल नहीं तुम हो तो ,नहीं हमें तुम्हारी जरूरत है
मधुर नहीं लगता साथ ,साथ होने की नहीं जरूरत है
बोझ अगर हम लगतीं ,बोझ उठाने की नहीं जरूरत है
नित बदलता प्यार यदि ,ऐसे साथी की नहीं जरूरत है
रूचि सिर्फ मेरी देह में गर ऐसे साथी की नहीं जरूरत है
अपनी ही गर चलाना हो ,अत्याचारी की नहीं जरूरत है
रहे आओ तुम जोधा कहीं के ,हमें नहीं तुम्हारी जरूरत है
हमसे सुख-दुःख बाँटे ,हो त्याग साथ में हमारी जरूरत है
--राजेश जैन
21-08-2015
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