Monday, August 10, 2015

नारी -आत्मनिर्भरता

नारी -आत्मनिर्भरता
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विनम्रता हो लब पे समस्या हल होती है
लब पे मधुर मुस्कान जीत दिल लेती है
ओंठों पर हो लाली तो अच्छी लगती है
ओंठों से लगी सिगरेट शोभा नहीं देती है

नित करके भोजन जीवन चलता है ,पर भोजन ही लक्ष्य नहीं होता है
रति क्रिया जरूरी पर ,जीवन लक्ष्य ,इसमें अति लिप्तता नहीं होता है
सुंदर तन सुंदर दिखता लेकिन लक्ष्य ,तन में मग्नता ही नहीं होता है
जीवन लक्ष्य ,कोरे मिले मन में ,अच्छाई बसा सुंदर होना यही होता है

नारी का आत्मनिर्भर होना अच्छा होता है
अबला को स्वावलंबी बनाना अच्छा होता है
नारी-पुरुष के छल रहित संबंध है सुख कारक
स्वाधीन नारी ,मदद करना पुरुष होना होता है
--राजेश जैन
11-08-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

 

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