नारी पुराण
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क्या होगा जीवन में उसके ,यह नहीं वह जानती है
पिता पुरुष , माँ नारी उसकी ,इतना वह जानती है
पुरुष-नारी साथ रहेगा ,रहते तक सृष्टि जानती है
जान आशायें 'नारी मन' में ,तुम्हें बताना चाहती है
गर्भ में आने पर वह ,बेटी हो जन्म लेना चाहती है
जन्म लिया तब बेटे जैसा ही ,देखे जाना चाहती है
देती तुम्हे सम्मान ,तुमसे सम्मान पाना चाहती है
लाजवान रही वह ,तुम्हें लाजवान देखना चाहती है
भाई देते सुरक्षा जिसमें ,वैसा समाज वह चाहती है
पति अतिरिक्त अन्य से , भाई सी नज़र चाहती है
विवाह में माँ-पिता भाई से ,दुलार उपहार चाहती है
तुम याचक बन दहेज लो , यह देखना ना चाहती है
नए परिवेश में शिक्षित होना भी ,वह अब चाहती है
कंधे से मिला अपना कंधा ,वह घर चलाना चाहती है
तुम्हारा छल रहित प्यार ,अपने लिए वह चाहती है
समर्पण रख तुमसे ,जीवन साथ निभाना चाहती है
जीवन प्रयोजन ले सैर ,बाज़ार ,यात्रा करना चाहती है
बेखटके घूमे ,छेड़छाड़ नहीं ,ऐसा वातावरण चाहती है
उठने बैठने ,वस्त्र धारण ,पुरुष सी आज़ादी चाहती है
जीवन सुख लेने देने ,'समान समाज मानक' चाहती है
--राजेश जैन
26-08-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman
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क्या होगा जीवन में उसके ,यह नहीं वह जानती है
पिता पुरुष , माँ नारी उसकी ,इतना वह जानती है
पुरुष-नारी साथ रहेगा ,रहते तक सृष्टि जानती है
जान आशायें 'नारी मन' में ,तुम्हें बताना चाहती है
गर्भ में आने पर वह ,बेटी हो जन्म लेना चाहती है
जन्म लिया तब बेटे जैसा ही ,देखे जाना चाहती है
देती तुम्हे सम्मान ,तुमसे सम्मान पाना चाहती है
लाजवान रही वह ,तुम्हें लाजवान देखना चाहती है
भाई देते सुरक्षा जिसमें ,वैसा समाज वह चाहती है
पति अतिरिक्त अन्य से , भाई सी नज़र चाहती है
विवाह में माँ-पिता भाई से ,दुलार उपहार चाहती है
तुम याचक बन दहेज लो , यह देखना ना चाहती है
नए परिवेश में शिक्षित होना भी ,वह अब चाहती है
कंधे से मिला अपना कंधा ,वह घर चलाना चाहती है
तुम्हारा छल रहित प्यार ,अपने लिए वह चाहती है
समर्पण रख तुमसे ,जीवन साथ निभाना चाहती है
जीवन प्रयोजन ले सैर ,बाज़ार ,यात्रा करना चाहती है
बेखटके घूमे ,छेड़छाड़ नहीं ,ऐसा वातावरण चाहती है
उठने बैठने ,वस्त्र धारण ,पुरुष सी आज़ादी चाहती है
जीवन सुख लेने देने ,'समान समाज मानक' चाहती है
--राजेश जैन
26-08-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman
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