डिवोर्सी -তালাকপ্রাপ্ত - اور طلاق یافتہ
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उतरा मुख ले डिवोर्सी हो आती जब माँ-पापा की वृध्दता गहरी हो जाती है
भाई-परिवार सुख में कमी आने से मै, मेरी मासूम बेटी अप्रिय हो जाती है
बाहर ,स्कूल में बेटी समक्ष प्रश्नों से समाज-विकृति के दर्शन हो जाते हैं
आजीविका संघर्ष में ,प्रतिष्ठित पुरुष भी नीचता लिए मेरे समक्ष आते हैं
आदिमयुगीन क्रूरता अनुभव कर ,साहसी दिखती मै अंदर घबरा जाती हूँ
नारी को मनुष्य न मानते अभी भी ,सभ्यता कब आएगी ,प्रश्न उठाती हूँ
--राजेश जैन
04-08-2015
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उतरा मुख ले डिवोर्सी हो आती जब माँ-पापा की वृध्दता गहरी हो जाती है
भाई-परिवार सुख में कमी आने से मै, मेरी मासूम बेटी अप्रिय हो जाती है
बाहर ,स्कूल में बेटी समक्ष प्रश्नों से समाज-विकृति के दर्शन हो जाते हैं
आजीविका संघर्ष में ,प्रतिष्ठित पुरुष भी नीचता लिए मेरे समक्ष आते हैं
आदिमयुगीन क्रूरता अनुभव कर ,साहसी दिखती मै अंदर घबरा जाती हूँ
नारी को मनुष्य न मानते अभी भी ,सभ्यता कब आएगी ,प्रश्न उठाती हूँ
--राजेश जैन
04-08-2015
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