Tuesday, August 4, 2015

मैं तुम्हारी .... थी

मैं तुम्हारी .... थी
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मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड थी
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निष्ठुर ,सिर्फ तुमसे हमने
अपने मन ,आनंद बाँटे थे
पर कई गर्लफ्रेंड से तुमने
अपने सुख के पल बाँटे थे
मैं तुम्हारी पत्नी थी
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निष्ठुर ,तुमसे ब्याह कर हमने
सुखद जीवन के सपने देखे थे
लेकिन अतीत कुरेद के ,हमसे
तलाक में अपने हित देखे थे
मैं तुम्हारी सहकर्मी थी
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निष्ठुर ,दो विश्वास में छल से 
हम उदासीन रहना चाहते थे
लेकिन हमारी निजता में तब
तुम घुसपैठ किया करते थे
मान दो नारी को
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निष्ठुर , तुम से मिलकर भी
निष्ठुर ,तुमसे दूर रहकर भी
जीवनभर सुखी हम रह न सके
मान दो नारी को अगर हो सके
--राजेश जैन
05-08-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman


 

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