Friday, June 6, 2014

जबलपुर - संस्कारधानी ?

जबलपुर - संस्कारधानी ?

जबलपुर को संस्कारधानी विशेषण कब ,किसने और क्यों दिया , यह किसी को ज्ञात हो तो कमेंट्स में बता दीजियेगा।
किन्तु यह तो तय की जबलपुर की किसी पीढ़ी ने ऐसा कुछ किया होगा जिसने शेष भारत को प्रभावित किया होगा और "संस्कारधानी" जैसा सुन्दर शब्द हमारे जबलपुर को मिला होगा , जो शायद किसी अन्य नगर के नाम के साथ नहीं जुड़ता है।

जबलपुर में आजकल हमारे बच्चों के पढाई का माध्यम इंग्लिश है अतः उनको संस्कारधानी शब्द का अर्थ बताया जाना उचित होगा , जिससे वे इस शब्द में समाहित गौरव (बोध) अनुभव कर सकें।

संस्कार उन गुणों का किसी व्यक्ति में होने का नाम है , जिससे उसके आचार ,विचार ,व्यवहार और कर्म ऐसे होते हैं , जो स्वयं उसका ही नहीं अपितु अन्य का जीवन भी सहज , सुखी और सार्थक करता है।  और जहाँ से ऐसे अच्छे गुण या संस्कार मिलते हैं , उस स्थान ,धर्म , समाज , विद्यालय या शास्त्र (बुक) को संस्कारधानी कहा जाता है।

जबलपुर की किसी या कुछ पीढ़ी (यों)  ने उच्च संस्कार देने की एक अच्छी परम्परा रखी होगी , हमें इस परम्परा को आगे बढ़ाने का दायित्व है , जबलपुर में होने से हमें इस कर्तव्य के साथ न्याय करना चाहिए।

हिंदी भाषी क्षेत्रों के अलावा , यहाँ देश के अन्य भाषा प्रदेशों (महाराष्ट्र ,गुजरात , पंजाब , आंध्र ,केरल ,कर्नाटक इत्यादि )से आकर बस गए परिवार भी  इस सुन्दर सुरम्य नगर में सुखद जीवन यापन कर रहे हैं। लेकिन कुछ घटनायें , यहाँ भी ऐसी हो जाती हैं , जो इस नगर की गौरवशाली परम्परा पर प्रश्न चिन्ह अंकित कर देती है। हमें विचार और उपाय करने चाहिये जिससे हमारा नगर गरिमा बरकरार रख सके।

थोड़ा सा अन्य विषय इस लेख में लेते हैं।

आकर्षण की भावना
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 जानवरों में भी होता है , लेकिन मनुष्य में तो लगभग सभी में होता है वे अन्य को प्रभावित कर अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं।  आकर्षित करने का लक्ष्य मनुष्य में एकमात्र काम अपेक्षा से ही नहीं होता , बल्कि जीवन के अलग अलग अवस्था में अलग अलग अपेक्षा से आकर्षित करने का होता है।  और आकर्षित करने के अलग अलग साधन भी उपयोग किये जाते हैं।
ज्ञान , कला ,व्यवहार , रूप और वस्त्रों इत्यादि से  आकर्षित करने की चेष्टा होती है।  तब भी किन्हे आकर्षित करने का किसी का लक्ष्य होता है , उसे जाने समझे बिना अन्य भी उसकी तरफ आकर्षित हो जाते हैं।  तब उसे (आकर्षित करने वाले को ) यह अच्छा नहीं लगता है। विशेषकर रूप , वस्त्र और एक्सेसरीज से आकर्षित करने वाले व्यक्ति की अपेक्षा कुछ अपने प्रियजनों से रहती है।  लेकिन इन उपायों से आकर्षण जो उनमें होता है , कोई भी आकर्षित होता है। और कुछ दुर्गुणी, अवांछित चेष्टा भी करते हैं। कोई मदिरा या अन्य नशे में रहकर भी ऐसा कर देता है , जबकि सामन्यतः वह अच्छा भी होता है।

तब हम सहज नहीं रह पाते हैं।  अतः हमारे वस्त्र कहाँ हम जा रहे हैं , किन लोगों के बीच से जाना है , किन के साथ हमें होना है आदि पर विचार कर हमारे वस्त्र का चयन होना उचित होता है।  किसी भी तरह के वस्त्र में लेखक कोई खराबी नहीं मानता अगर वे आसपास के व्यक्तियों और अवसर को मैच करते हों।

थोड़ा शरीर झलकते वस्त्र जहाँ पति -पत्नी के बीच अच्छे हो सकते हैं , वही भाई -बहन माँ -पिता को असहज करते हैं।  ऐसे वस्त्र अनायास ही उनकी आँखें नीचे करते हुए हम से बात करने को विवश करते हैं।  हम स्वयं भी ऐसी ही हालत में होते हैं। वस्त्र आधुनिक भी हों ,सुविधा पूर्ण भी हों और रूप में चार चाँद लगाते हों सभी अच्छे होते हैं , लेकिन अवसर और स्थान अनुरूप ही हम पर सजते हैं।  हम सब्जी बाजार में तो निश्चित ही वाटर पार्क वाले वस्त्रों में नहीं जा सकते हैं।

अब शारीरिक और मानसिक दोनों के स्वास्थ्य लाभ के लिए आव्हान
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आयें , रिज रोड (जबलपुर )पर वाक करने . स्वस्थ भी बनें , जबलपुर की संस्कारधानी होने की परंपरा भी चर्चा के साथ पुष्ट करें।  और समाज में सुख का संचार करें।

राजेश जैन
07-06-2014

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