Tuesday, June 10, 2014

फेसबुक- एक उत्कृष्ट माध्यम

फेसबुक- एक उत्कृष्ट माध्यम 
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अगर हमारी कला , लेखन , 'उपचार जानकारी' या कोई और विशिष्टता , हमारी आजीविका का जरिया नहीं है तो फेसबुक वह माध्यम है जिससे उसका प्रसार हम पूरी दुनिया में त्वरित और उसके मूल रूप में कर सकते हैं।

इसका प्रसार समाजहित और मानवता को पुष्ट कर सकेगा। हम बहुत उपयोगी या दुनिया के लाभ का कुछ प्रस्तुत करते हैं , तो उसकी कॉपी कई स्थानों पर यूजर कर
ते हैं। इसे चुराया जाना ना कह कर इसे प्रसार ही कहा जाना उचित होगा। क्योंकि इसमें हमारा नाम या ख्याति ना फैलता हो विशेष अंतर नहीं करता , वास्तविक समाजहित या मानवता निज अपेक्षा विहीन होती है। 

अश्लील प्रदर्शन और सामग्री यद्यपि ज्यादा कॉपी और लाइक किये जा रहे हैं .हालाँकि यह फेसबुक की खराब प्रयोग है। इससे हित किसी का नहीं होता। बल्कि यह समाज में अनाचार ,व्यभिचार और दुष्कर्मों को उकसा कर पावन भावना को क्षति पहुंचा रहा है . 
यह उस अनुकरणीय भावना के विपरीत है जिसमें सामाजिक सौहाद्र और परस्पर महीन सूत्र से बंधकर मानव सयुंक्त प्रयासों से "आदि मानव" के जानवर तुल्य स्तर से आज की मानव प्रगति साकार कर सका था। 

हमारे सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल निश्चित ही शीघ्रता से इसकी रोकथाम करने में सफल होंगे। उसके लिए उन्हें आर्थिक लाभ के मोह से छुटकारा प्राप्त कर मानव सभ्यता को सशक्त और पवित्र करने को प्रधानता देना होगा।

इस पीढ़ी को त्याग का उत्कृष्ट उदाहरण रखना होगा , जिसका प्रतिफल समाज की देश की आगामी पीढ़ियों को मिल सकेगा। आगामी पीढ़ियाँ कोई और नहीं हमारे बच्चे और उनके बच्चे (हमारे अपने ) ही होंगे.

धन मूर्च्छा , भोग मूर्च्छा और सुविधा मूर्च्छा से हमें निकलना होगा। हमें जागृत होना होगा।

राजेश जैन
11-06-2014

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