Monday, June 2, 2014

वृक्ष


वृक्ष
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पौधा छोटा होता है , अपने फल ,फूल और शीतलता छोटे दायरे में उपलब्ध करा पाता है। वृक्ष बड़ा होता है उसका दायरा बड़ा होता है।

हम घर में पपीता का पौधा लगायें तो उसके फल हमें ही उपलब्ध होते हैं , किन्तु यदि आम का वृक्ष हमारे घर में हो तो उसकी बयार , फल पास पड़ोस में दूसरों को भी मिलते हैं।

हम अपने परिवार के लिये अच्छा करते हैं तो यह पौधे वाला गुण है , हमारे सद्कार्य और गुणों का लाभ हमारे परिवार तक सीमित होते हैं।  लेकिन हमारे सद्कार्य और गुणों का दायरा हम विस्तृत कर सकें तो उसका लाभ घर -परिवार के अतिरिक्त समाज तक पहुँचता है। जिस तरह वृक्ष विस्तृत दायरे में अपने फलों का लाभ प्राणियों को देते हैं।  उसी तरह यदि हम गुणवान हैं तो हमें घर-परिवार की परिधि में ही नहीं सिमट जाना चाहिये। हमें सद्कार्य समाज में भी करना चाहिए , जिससे ये संचारित होकर पूरे देश में फैल सकें और उससे हमारा देश समाज स्वस्थ हो सके।

और अगर हम में अवगुण हैं ,तो हमें स्वयं में सिमट जाना चाहिए , परिवार तक को उससे बचाना चाहिए ताकि वह उसकी चपेट में ना आयें।

हमारे दादाजी , स्मोकिंग किया करते थे , उन्हें इसकी खराबी का ज्ञान था , इसलिए वे बच्चों से छिप कर ऐसा करते थे। हम बच्चे अपनी मम्मी से जब पूछते तो वे कहती यह बुरी चीज होती है इसलिए छिपते हैं।

हमने स्मोकिंग को बुरा माना /जाना और इस लत से मुक्त रहे।

अपनी बुराई को अपने में सिमट पहचान कर उससे मुक्त होने का प्रयास करना चाहिए। यत्न करने से सभी कार्य किये जा सकते हैं। बुराई मिटा लें तो अच्छाई तो सभी में जन्मजात  होती है , उसका लाभ परिवार समाज तक पहुँचायें।

हमारा सामाजिक दायित्व अच्छाई का प्रचार -प्रसार है और बुराई का उन्मूलन है  ....  स्वयं में बुराई मिटाते हुये समाज में कम करें , देश समाज व्यवस्था से जो हमें शिकवे /शिकायतें हैं स्वयं कम होगीं

राजेश जैन
03-06-2014

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