जोसेफाइट
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बेटी को बैंगलोर से जबलपुर आना था , मुंबई में फ्लाइट बदलनी थी। प्लेन की खराबी के कारण आफ्टरनून की मुंबई-जबलपुर फ्लाइट कैंसिल हो गई , घंटों एयरपोर्ट पर बैठे रहने के बाद ,रात्रि में होटेल में रूम दिया गया। रूम शेयर किया बेटी ने सीनियर "जोसेफाइट" (सेंट जोसेफ कान्वेंट पढ़ी ) ऑन्टी के साथ। वे ऑस्ट्रेलिया से अपनी माँ से मिलने जबलपुर आ रही थी। माँ रिज रोड ,जबलपुर में निवासरत हैं। रात्रि दोनों जोसेफाइटस के बीच चर्चा होती रही।
सुबह जबलपुर एयरपोर्ट पर बेटी को रिसीव करने मै गया था। डुमना एयर स्ट्रिप से बाहर आते बेटी के साथ उन्होंने मुझे देखा , बेटी से पूछा- योर फादर ? बेटी के हाँ कहने पर मुझसे मुखातिब हुईं , कहा, यू आर वेरी लकी , बहुत अच्छी है आपकी बेटी , बहुत सुलझी सोच और कितने सुन्दर जीवन लक्ष्य हैं इसके।
एक पिता का सीना कितना फूलता है , बच्चे की प्रशंसा अपरिचित से सुनकर, यह अनुभूति बहुत निजी और आनंददायी थी। आपमें से अनेकों ने अवसरों पर ऐसा अनुभव किया होगा।
उन आदरणीया से वार्तालाप बहुत संक्षिप्त था , उन्हें सिर्फ धन्यवाद ही कह सका था। लेकिन बिना पैसे खर्च किये किसी को हम कितना आंनद दे सकते हैं , सिर्फ सच्ची थोड़ी सी प्रशंसा करने से , यह हमें उन जैसे उदारमना व्यक्ति से सीखना चाहिए। (वैसे उन्होंने सीनियर जोसेफाइट होने से एयरपोर्ट पर रिफ्रेशमेंट का पेमेंट स्वयं किया था , बेटी (उनकी वर्षों जूनियर ) को नहीं करने दिया था ) .
वास्तव में यह प्रशंसा, अनुमोदन है सच्ची राह का, जो हमारे युवाओं और बच्चों को नेक राह का पथगामी बने रहने का मनोबल देता है।
--राजेश जैन
21-06-2014
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बेटी को बैंगलोर से जबलपुर आना था , मुंबई में फ्लाइट बदलनी थी। प्लेन की खराबी के कारण आफ्टरनून की मुंबई-जबलपुर फ्लाइट कैंसिल हो गई , घंटों एयरपोर्ट पर बैठे रहने के बाद ,रात्रि में होटेल में रूम दिया गया। रूम शेयर किया बेटी ने सीनियर "जोसेफाइट" (सेंट जोसेफ कान्वेंट पढ़ी ) ऑन्टी के साथ। वे ऑस्ट्रेलिया से अपनी माँ से मिलने जबलपुर आ रही थी। माँ रिज रोड ,जबलपुर में निवासरत हैं। रात्रि दोनों जोसेफाइटस के बीच चर्चा होती रही।
सुबह जबलपुर एयरपोर्ट पर बेटी को रिसीव करने मै गया था। डुमना एयर स्ट्रिप से बाहर आते बेटी के साथ उन्होंने मुझे देखा , बेटी से पूछा- योर फादर ? बेटी के हाँ कहने पर मुझसे मुखातिब हुईं , कहा, यू आर वेरी लकी , बहुत अच्छी है आपकी बेटी , बहुत सुलझी सोच और कितने सुन्दर जीवन लक्ष्य हैं इसके।
एक पिता का सीना कितना फूलता है , बच्चे की प्रशंसा अपरिचित से सुनकर, यह अनुभूति बहुत निजी और आनंददायी थी। आपमें से अनेकों ने अवसरों पर ऐसा अनुभव किया होगा।
उन आदरणीया से वार्तालाप बहुत संक्षिप्त था , उन्हें सिर्फ धन्यवाद ही कह सका था। लेकिन बिना पैसे खर्च किये किसी को हम कितना आंनद दे सकते हैं , सिर्फ सच्ची थोड़ी सी प्रशंसा करने से , यह हमें उन जैसे उदारमना व्यक्ति से सीखना चाहिए। (वैसे उन्होंने सीनियर जोसेफाइट होने से एयरपोर्ट पर रिफ्रेशमेंट का पेमेंट स्वयं किया था , बेटी (उनकी वर्षों जूनियर ) को नहीं करने दिया था ) .
वास्तव में यह प्रशंसा, अनुमोदन है सच्ची राह का, जो हमारे युवाओं और बच्चों को नेक राह का पथगामी बने रहने का मनोबल देता है।
--राजेश जैन
21-06-2014
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