आधुनिक चलन में हानि
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कहासुनी , अपशब्द या सचमुच छेड़छाड़ की एक घटना एक सेलेब्रिटी के साथ हुई। उसे नारी से छेड़छाड़ बताकर मीडिया घंटों , करोड़ों व्यक्तियों के ख़राब करने में लगा हुआ है। नारी विरुध्द इससे गंभीर हजारों अपराध /घटना इस समाज में हो रही हैं। जिसमें नारी को जागरूक करना (नारी चेतना ) आवश्यक है। पुरुष को नारी सम्मान की प्रेरणा दिया जाना आवश्यक है। दुर्भाग्य मीडिया ऐसी कोई जिम्मेदारी गंभीरता से नहीं निभाता। जिस छोटी सी घटना को जानना कहीं किसी के लिए लाभकारी नहीं है trp बढ़ाने के लिये उसे इस तरह दिखाया , रटाया जा रहा है जैसे इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र के लिए "किरचॉफ'स करंट लॉ " का जानना आवश्यक हो।
कब तक सामाजिक सरोकारों से उदासीन हमारा मीडिया सिर्फ एक स्वार्थी व्यापारी की तरह व्यवहार करता रहेगा जिसे सिर्फ अपने लाभ की परवाह होती है। जबकि एक अच्छा व्यापारी अपने ग्राहक को विक्रित सामग्री की गुणवत्ता की चिंता भी करता है . ग्राहक को लाभकारी सामग्री बेची जाने पर उसका व्यापारिक प्रतिष्ठान दीर्घ समय तक चलता और प्रतिष्ठित रहता है। मीडिया को व्यापारी ही बनना है तो कम से कम वह एक अच्छे व्यापारी की तरह व्यवहार करे। कम से कम करोड़ों ग्राहकों का समय और चरित्र ना बिगाड़े।
जिन तथाकथित सेलेब्रिटी'स ने देश की सँस्कृति ही बदल दी है (खराबी पैदा कर दी है ) उनको महिमामंडित करते हुए युवाओं को ख़राब राह पर चलने को दुष्प्रेरित ना करे। जिम्मेदारी निभायें , नहीं तो छोड़ दे जिम्मेदार बनने का ढोंग। जिन दिनों 24 घंटे का टेलीकास्ट नहीं होता था , बच्चे ज्यादा पढने में मन लगाते थे। युवा ऐसे कोई काम करते थे जो घर और परिवार के समस्याओं को कम करते थे। नहीं कोई जानता था किसी फिल्म वालों के जीवन की दैनिक घटना तो , किसी का पेट ख़राब नहीं होता था।
मीडिया सच्चे मायने में नारी की दुर्दशा से सहानुभूति रखता है तो देश की भव्य रही सँस्कृति की क्या अच्छाइयाँ थी यह दिखलाये। नारी को आधुनिक होने के साथ किन आधुनिक चलन में उनकी हानि है उसे रेखांकित करे। उन पुरुषों की दृष्टि ठीक करने के उपाय करे जो नारी को सिर्फ भोग्या (वस्तु) की दृष्टि से देखते हैं।
जिस नारी सेलिब्रिटी की छेड़छाड़ को राष्ट्रीय विपदा सा कवरेज दिया जा रहा है , उससे निबटने में वह(सेलिब्रिटी ) स्वयं सक्षम है। वह उस पर छोड़े और देश के कामकाजी व्यक्ति को जो थोड़ा मनोरंजन को टीवी देखता है , उसे लाभकारी घुट्टी की तरह जबरदस्ती यह ना दिखाए (पिलाये ).
राजेश जैन
कब तक सामाजिक सरोकारों से उदासीन हमारा मीडिया सिर्फ एक स्वार्थी व्यापारी की तरह व्यवहार करता रहेगा जिसे सिर्फ अपने लाभ की परवाह होती है। जबकि एक अच्छा व्यापारी अपने ग्राहक को विक्रित सामग्री की गुणवत्ता की चिंता भी करता है . ग्राहक को लाभकारी सामग्री बेची जाने पर उसका व्यापारिक प्रतिष्ठान दीर्घ समय तक चलता और प्रतिष्ठित रहता है। मीडिया को व्यापारी ही बनना है तो कम से कम वह एक अच्छे व्यापारी की तरह व्यवहार करे। कम से कम करोड़ों ग्राहकों का समय और चरित्र ना बिगाड़े।
जिन तथाकथित सेलेब्रिटी'स ने देश की सँस्कृति ही बदल दी है (खराबी पैदा कर दी है ) उनको महिमामंडित करते हुए युवाओं को ख़राब राह पर चलने को दुष्प्रेरित ना करे। जिम्मेदारी निभायें , नहीं तो छोड़ दे जिम्मेदार बनने का ढोंग। जिन दिनों 24 घंटे का टेलीकास्ट नहीं होता था , बच्चे ज्यादा पढने में मन लगाते थे। युवा ऐसे कोई काम करते थे जो घर और परिवार के समस्याओं को कम करते थे। नहीं कोई जानता था किसी फिल्म वालों के जीवन की दैनिक घटना तो , किसी का पेट ख़राब नहीं होता था।
मीडिया सच्चे मायने में नारी की दुर्दशा से सहानुभूति रखता है तो देश की भव्य रही सँस्कृति की क्या अच्छाइयाँ थी यह दिखलाये। नारी को आधुनिक होने के साथ किन आधुनिक चलन में उनकी हानि है उसे रेखांकित करे। उन पुरुषों की दृष्टि ठीक करने के उपाय करे जो नारी को सिर्फ भोग्या (वस्तु) की दृष्टि से देखते हैं।
जिस नारी सेलिब्रिटी की छेड़छाड़ को राष्ट्रीय विपदा सा कवरेज दिया जा रहा है , उससे निबटने में वह(सेलिब्रिटी ) स्वयं सक्षम है। वह उस पर छोड़े और देश के कामकाजी व्यक्ति को जो थोड़ा मनोरंजन को टीवी देखता है , उसे लाभकारी घुट्टी की तरह जबरदस्ती यह ना दिखाए (पिलाये ).
राजेश जैन
23-06-2014
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