स्वयं बनो तुम आसमान सा
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उड़ चुके अनेकों ,
थक लौटे सब धरती पर
न टिक सके आसमान पर
तब भी शुभकामनायें मेरी
तुम टिको आसमान पर
सूरज आता नित
छा जाता आसमान पर
अस्त होता वह थककर
चन्द्रमा पखवाड़े भर दिखता
फिर ओझल रहता आसमान पर
गर बुलंद हैं अपने संकल्प
जा सकते हो आसमान पर
आओगे तुम थक लौटकर
इसलिए छोड़ो चाहत
उड़ने की आसमान पर
और उठना चाहो ऊँचा तो
कद बढ़ाओ अपना ऊँचा और
स्वयं बनो तुम आसमान सा
-- राजेश जैन
29 06 -2014
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उड़ चुके अनेकों ,
थक लौटे सब धरती पर
न टिक सके आसमान पर
तब भी शुभकामनायें मेरी
तुम टिको आसमान पर
सूरज आता नित
छा जाता आसमान पर
अस्त होता वह थककर
चन्द्रमा पखवाड़े भर दिखता
फिर ओझल रहता आसमान पर
गर बुलंद हैं अपने संकल्प
जा सकते हो आसमान पर
आओगे तुम थक लौटकर
इसलिए छोड़ो चाहत
उड़ने की आसमान पर
और उठना चाहो ऊँचा तो
कद बढ़ाओ अपना ऊँचा और
स्वयं बनो तुम आसमान सा
-- राजेश जैन
29 06 -2014
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