Saturday, September 1, 2018

मोहब्बत का अहसास ही -
खुद ब खुद मुक़म्मल है
मोहब्बत वह मुक़म्मल नहीं -
पीछे जिसके शिकवों के सिलसिले हैं


सफलता की होड़ में जो आगे - उनके कुछ कारनामे होते हैं

पैमानों पर असफल जो - महत्वपूर्ण उनके योगदान होते हैं


क्यूँ हो इस बात का रंज कि - हम ज़माने से पिछड़ गए

पिछड़ के जी लेना भी तो - ज़िंदगी जी लेना ही होता है


जो मुंतजिर हमारे जवाल के होते हैं
मजबूरी है हम उन्हें अपना कहते हैं
(मुंतज़िर - इंतजार करने वाले , जवाल - आफत)



कुबूल तो थी दिल से - हमें मुहब्बत उनकी

जुबां पर न लाये - हमने कहानी में लिख दी


अगर न लिखें कुछ हम - तब भी फर्क खास नहीं पड़ेगा

मगर इंसानियत तुझे बचाने की हम- कोशिश क्यों छोड़ें


बहुत उत्सुक होते हैं हम -
नए स्थान , नई जिम्मेदारियों के लिए
मिल जाते हैं तो , बोलती बंद होती -
जबाबदारियाँ दिखने लगती हैं

अब जो होता मर्द औरत के बीच - वह तिजारत है
हर्फ़ में पैकेजिंग - मगर मोहब्बत की दिए रक्खी है


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