Thursday, September 20, 2018
आर्ट मूवीज़ की तरह , "फ्लॉप" - स्टोरी
समीना ,चार-छह वर्ष की होगी तब ही उसे , औरों के कहने और आईने की गवाही से पता हो गया था कि वह औरों से ज्यादा सुंदर है। पहले-पहल उसे सुंदर दिखना और होना , भला लगता था। लेकिन ज्यों ही बड़ी होने लगी , उसे सबकी तरफ से मिलता विशेष व्यवहार और अतिरिक्त तवज्जो अजीब लगती। अभी 12-13 वर्ष की ही हुई तो , आसपास के भैय्या - चाचा टाइप के लोग उससे बात के बहाने कर लेते। और तो और आस -पड़ोस के ड्राइवर और नौकर तरह के लोग भी अपने में इंटरेस्ट लेते लगते। माँ - पापा से पढ़ने की मिलती प्रेरणा से वह अपनी पढ़ाई में ध्यान केंद्रित रखना चाहती थी। इन सबसे बचती , अपने ध्यान से सब ऐसी बात झटकती रहती।
अभी तो वह कॉलेज तक पहुँची है। उसे आगे , अपनी सुंदरता की कितनी और चुनौतियों को झेलना होगा , आभास भी नहीं। उसे हॉस्पिटल के स्टाफ , पेशेंट और तो और शादी के बाद पति के मित्रों की भी ऐसी नज़रों से बचते रहने होगा।
--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
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