खुशियाँ आज लफ़्जों में सिमट रह गईं
हक़ीक़त बयां आज आँसू किया करते हैं
हर घर में -
चिराग मुझे कहा गया
तब भी -
देश में उजाला न ला सका
घर घर -
चिराग मुझे कहा गया
किंतु -
औरों की रोशनी को खतरा हूँ
क्यूँ किसी के नींद उड़ने का सबब हम बनें
हम तो हैं इसलिए कि वे सुख से सो सकें
इंतकाम कोई - हम किसी से नहीं लेते
आज का इंसान - क्या कम परेशान है
हक़ीक़त बयां आज आँसू किया करते हैं
हर घर में -
चिराग मुझे कहा गया
तब भी -
देश में उजाला न ला सका
घर घर -
चिराग मुझे कहा गया
किंतु -
औरों की रोशनी को खतरा हूँ
क्यूँ किसी के नींद उड़ने का सबब हम बनें
हम तो हैं इसलिए कि वे सुख से सो सकें
इंतकाम कोई - हम किसी से नहीं लेते
आज का इंसान - क्या कम परेशान है
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