Saturday, September 22, 2018

खुशियाँ आज लफ़्जों में सिमट रह गईं
हक़ीक़त बयां आज आँसू किया करते हैं

हर घर में -
चिराग मुझे कहा गया
तब भी -
देश में उजाला न ला सका

घर घर -
चिराग मुझे कहा गया
किंतु -
औरों की रोशनी को खतरा हूँ


क्यूँ किसी के नींद उड़ने का सबब हम बनें
हम तो हैं इसलिए कि वे सुख से सो सकें

इंतकाम कोई - हम किसी से नहीं लेते
आज का इंसान - क्या कम परेशान है


No comments:

Post a Comment