हम इंसान हैं - ज़िंदगी के लिए मकसद तय करलें
मारकाट ,बिन मकसद के - जानवर भी जी लेते हैं
भले हम हो जायें कत्ल - मीठी जुबां का चलन रहने दें
तीखी जुबां से मरने का - ग़म बर्दाश्त नहीं कर सकेंगें
जो है इंसान - उससे मोहब्बत करना बस सीख ले
कौमी नफ़रत का जहर - मिटाने के लिए काफी है
मारकाट ,बिन मकसद के - जानवर भी जी लेते हैं
भले हम हो जायें कत्ल - मीठी जुबां का चलन रहने दें
तीखी जुबां से मरने का - ग़म बर्दाश्त नहीं कर सकेंगें
जो है इंसान - उससे मोहब्बत करना बस सीख ले
कौमी नफ़रत का जहर - मिटाने के लिए काफी है
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