Saturday, September 15, 2018

'नहीं समझने का' आरोप -
यूँ , उन पर ठीक नहीं
कि हम ही नहीं समझते
कि उन्हें हम से मतलब नहीं

जिंदगियाँ सभी , कायम उम्मीदों पर हैं
तुम बनो उनकी उम्मीदें - बेहतर होगा

फेसबुक पर नहीं तो - दीदार बगीचे में होगा दोनों ही उम्मीदों ने दम तोड़ दिया - लेकिन

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