जब समझ क्षीण - तब काया बलिष्ठ
और
जब काया क्षीण - तब समझ परिपक्व
अजब संयोग हैं - जीवन में \\
क्यों वह सब कह देना चाहते हो - तुम
जो वे समझना ही नहीं चाहते - नादान
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जब काया क्षीण - तब समझ परिपक्व
अजब संयोग हैं - जीवन में \\
क्यों वह सब कह देना चाहते हो - तुम
जो वे समझना ही नहीं चाहते - नादान
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