जब मर जाना है इकदिन - फिर मौत से घबराना कैसा
है ज़िंदगी जब तक - सबसे रहे हमारा , दोस्ताना जैसा
उसकी मोहब्बत में ये करिश्मा हुआ हम पर
कि याद में बेकली-सुकून का फर्क मिट गया
यूँ मुहँ मोड़ लेने से - कोई ज़िंदगी से मायूस ना हो जाए
गुज़ारिश कि - मुहँ मोड़ने से पहले इतना ख़्याल कर लेना
औरों में - जिसकी शिकायत होती है
खुद में - वह बात बदलता कोई नहीं
कि याद में बेकली-सुकून का फर्क मिट गया
यूँ मुहँ मोड़ लेने से - कोई ज़िंदगी से मायूस ना हो जाए
गुज़ारिश कि - मुहँ मोड़ने से पहले इतना ख़्याल कर लेना
औरों में - जिसकी शिकायत होती है
खुद में - वह बात बदलता कोई नहीं
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