Monday, June 18, 2018

उनकी चुप्पी को दोस्त - हाँ समझना ठीक नहीं
हाँ में उन्हें संकोच तो - ना कहने से वे डरती हैं

तेरा मन यह जानता कि - मैं आश्रिता रह खुश हूँ
मेरा मन जानता कि - इसमें गुलामों सी मजबूरी है

#मानव_सभ्यता
आश्रिता रूप में एक नारी में जज़्बात सिसकते हैं
नारी को स्वावलंबन के अवसर दिए जाने चाहिए

हमें मोहब्बत है तुमसे - मर्जी हम पे चला लो
औरों पे न चले शायद - मर्ज़ी चलने की ख़ुशी हम से ले लो


 #कश्मीर
ख़ूबसूरत दिल है मगर - चैन उसमें नहीं
काश चैन होता - ख़ूबसूरती होती या नहीं

जब ढ़लने को आया - ठहरता सूरज कैसे?
सँवरना ही था तो - शाम नहीं दोपहर सँवरती
 

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