Saturday, June 23, 2018

आप उन चंद इंसानों में शुमार हैं ..

आप उन चंद इंसानों में शुमार हैं ..

-----------------------------------------------------------

आपके अच्छा करने के प्रयास सारे विफल होते हैं , ऐसा मान कर अच्छा करने का प्रयास मायूसी में छोड़ देना अनुचित है। दरअसल समाज और दुनिया में मानवीयता (इंसानियत) जिस तीव्रता से घट रही है , आपके ऐसे प्रयास सर्वप्रथम उसके कम होने(घटने) की गति को रोकते हैं। उसके बाद वे (अच्छे प्रयास) , कुछ अच्छा बदलाव प्रेरित करते/लाते हैं। यह जरूर है कि ये बदलाव इतने धीमे होते हैं कि कल और आज में कोई दिखाई दे सकने वाला बदलाव होता नहीं है। लेकिन बदलाव कुछ होता अवश्य है। स्मरण रहे कि यह दुनिया 8 अरब इंसानों की दुनिया है , जिसमें अधिकाँश को सिर्फ अपनी और अपने कुछ अजीज की ही परवाह है। ऐसे में अगर आप समाज और दुनिया के लिए अपनी ज़िंदगी लगाने वालों में से हैं तो ऐसे इंसानों की संख्या अत्यंत कम है। इसलिए इस बड़ी इंसानी तादाद पर अच्छाई के प्रयास/कार्य बेअसर से होते लगते हैं। समाज भलाई के आपके प्रयास , आपको अपर्याप्त से लग सकते हैं। बदलाव विज़िबल नहीं होता देख मायूसी आ सकती है। लेकिन मायूसी से अपने को उबार लीजिये।

आप जितना कुछ कर देंगे वह इंसानियत की दृष्टि से तारीफ़ के काबिल तो होगा ही , ज्यादा तारीफ़ की बात यह होगी कि आप उन चंद इंसानों में शुमार होंगे , जिनसे समाजिक सदभाव -सौहाद्र और मोहब्बत की परंपरा कायम चली आ रही है। अगर आप ही हताश हो गए तो परंपरा की यह डोर टूट जायेगी। फिर नफरत , धोखे , कपट और वासना के खेल बेशर्मी से होंगे। यह स्मरण रखिये कि हम मायूस हुए तो आने वाली आगामी पीढ़ी जिनमे हमारे खुद के भी बच्चे होंगे , को मिलने वाला समाज या दुनिया , उनकी खुशहाली की ज़िंदगी सुनिश्चित नहीं कर सकेगी।

राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन

No comments:

Post a Comment