Tuesday, June 19, 2018

अश्रुना

अश्रुना

 

 अपने भाई-बहन उसे बहुत प्यारे हैं। पापा और माँ का लाड़-दुलार उसे भरपूर मिला है , सात भाई-बहनों में अश्रुना सबसे बड़ी है। पाँच बहनों के बाद दो सबसे छोटे जुड़वाँ भाई हैं , उसके। सभी अश्रुना दीदी को बहुत प्यार आदर करते हैं। अश्रुना - इस अगस्त में 24 की हो जायेगी। बहुत कुछ भरपूर मिला है जीवन में अब तक उसे। किंतु प्यारे पापा की आय 7 बच्चों के परिवार के लिए पर्याप्त नहीं है। खुद माँ - पापा बहुत पढ़े लिखे नहीं हैं। इस कारण और और कम माली हालत की वजह से , अश्रुना और सभी बच्चों को पढ़ाया तो गया / (जा रहा) है  लेकिन वह पढ़ाई 1 ठीकठाक आजीविका की दृष्टि से कम पड़ती है. अश्रुना की माँ , सीधी साधी उच्च कोटि की इंसान हैं। अश्रुना ने बचपन से उन्हें बच्चों और पापा के लिए दिन रात काम करते , सेवा सुश्रुषा करते पाया है। वे अपनी तकलीफ़ कहने में भी सकुचाती हैं , कि अश्रुना के पापा और बच्चों पर मानसिक दबाव बढ़ेगा।

सत्रह वर्ष के ऊपर की हुई खुद सहित पाँच खूबसूरत बहनों के कारण कुछ वर्षों से अतिरिक्त चिंतायें माँ पापा पर परिलक्षित दिखती हैं। समाज में खूबसूरत जवान लड़कियों पर कितने खतरे हैं , उन्हें बाहर जाने दें तो चिंता और पढ़ने लिखने के लिए बाहर न भेजें तो उचित नहीं। कभी उस पर और बहनों पर पाबंदियाँ और कभी खुले विचार के कारण छूट , यह धर्मसंकट उन्हें हर समय तनावग्रस्त रखता है। अश्रुना स्वयं कुछ कमा लेने के लिए घर से ही कुछ काम करती है , पर उससे भी आय 2-3 हजार से ज्यादा नहीं होती। इन सब परिस्थितियों में तथा  बड़ी हुईं बेटियों के विवाह की चिंता में , माँ-पापा असमय ज्यादा बूढ़े दिखने लगे हैं। अब दोनों अक्सर बीमार भी पड़ जाते हैं , जिससे दवाओं और डॉक्टर के खर्चे भी बढ़ गए हैं।
अश्रुना के विवाह की बातें भी चलने लगीं हैं। अपने माँ-पापा के ऊपर , इस बड़े परिवार का दबाव उसने होश संभालने के बाद हमेशा अनुभव किया है . इसलिए वह ऐसे लड़के से विवाह करना चाहती है , जो इतना प्रगतिशील विचार को हो कि ज्यादा बच्चे पैदा करने को उसे मजबूर न करे। उसे यद्यपि अपने ज्यादा बहन-भाई के होने से कम कपड़े , पसंदीदा खानपान के अभाव और साधारण शिक्षा मिलने के कारण कोई शिकायत नहीं  माँ - पापा से। पर सब की इक्छाओं की पूर्ति में आर्थिक अक्षमता के कारण माँ-पापा का मन मसोस के रह जाना , उनके चेहरे पर उदासी और चिंता की लकीरें देखना उसे बहुत व्यथित करता है। इसलिए वह चाहती है कि खुली सोच वाला उसे हस्बैंड मिले। जिससे , वह और उसकी बहनें जैसे पिछड़ गईं हैं आज की अन्य लड़कियों से , उनकी आगे की पीढ़ी इस तरह न पिछड़े।
मगर अफ़सोस अश्रुना को इस तरह के मौके भी नहीं कि जिससे विवाह की बातें चले , उससे इतना सब डिसकस करने के लिए उसे 2-4 महीनों का समय मिले।

#नारी_लाचारी
पर्दा और बुर्क़ा इस तरह लादा गया है - उन पर कि
नारी , डीपी तक में - शक्ल न दिखाने को मजबूर हैं

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
20-06-2018

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